नव गठित ह्यूमन ड्यूटीज फाऊंडेशन के एडवाइजरी बोर्ड की बैठक संपन्न
मंचस्थ संत बाबा प्रीतम सिह, महंत योगेशपुरी, नजीर अहमद, मौलाना रियासत अली,नजीर अहमद, रमन बल्ला, राजकुमार भसीन, रानी सिह, आदि। फोटो:असलम सलीमी |
आगरा:देश की मजबूती और समाज
में व्याप्त दिशाहीनता की को समाप्त करने के लियेअधिकारोंसे कही अधिक नागरिकों
का कर्तव्य परण होना जरूरी है,यह कहना है, ह्यूमन ड्यूटी फाऊंडेशन के चेयरमैन आर.के. सचदेवा का जो कि शास्त्री पुरम
स्थित सचदेवा मिलेनियम स्कूलपरसर में
चेयरमैन:आर के सचदेवा फोटो :असलम सलीमी |
आयोजित फाऊंडेशन के एडवाईजरी बोर्ड की पहली
बैठक के अवसर पर आयोजित आगरा सहित अन्य जनपदों से आमंत्रित बुद्धिजीवियों की सभा
को सम्बोधित कर रहे थे।
सचदेवा ने कहा संविधान
बनने से पूर्व सैकडो वर्ष हमारे देश के नागरिकों को उन विदेशी सत्ताओं के आधीन रहना
पडा जिन्होंने उन्हें गुलामों से अधिक कुछ भी नहीं माना। फलस्वरूप आजादी के बाद जब
देश में अपनी सत्ता आयी तो नागरिकों की अपने अधिकारों को लेकर सरकार और संविधान से
कुछ ज्यादा ही अपेक्षायें रहीं ।हुआ भी कुछ ऐसा ही संविधान सभा और उसके बाद संसद
में हमारे जन प्रतिनिधियों ने नागरिकों को अधिकार देने में भरपूर उदारता बरती ।नैतिक अधिकारो और मूल भूत अधिकारो की बात तो अलग है जो कि संविधान सभा...
ने ही सुनिश्चित कर दिये थे किन्तु बाद में संसद में बनाये गये अधिकारों से देश भर में असंतुलन की स्थिति व्याप्त हो गयी । मांगें, आंन्दोलन और हर संभव मुद्दे पर न्यायालय के चौखट पर पहुंचने की बनी प्रवृत्ति से जहां समाज की प्रगति दर प्रभावित हुई वहीं सरकारों का तो सत्त्स चलाना तक मुश्किल पड गया।
ने ही सुनिश्चित कर दिये थे किन्तु बाद में संसद में बनाये गये अधिकारों से देश भर में असंतुलन की स्थिति व्याप्त हो गयी । मांगें, आंन्दोलन और हर संभव मुद्दे पर न्यायालय के चौखट पर पहुंचने की बनी प्रवृत्ति से जहां समाज की प्रगति दर प्रभावित हुई वहीं सरकारों का तो सत्त्स चलाना तक मुश्किल पड गया।
सरदार पटेल मूल संविधान में
ही नागरिक कर्त्तव्य जुडवाना चाहतेथे किन्तु बाद में देश मेंंबनी स्थितियों के
फलस्वरूप ऐसे में देश के तत्कालीन परपक्व राजनीतिज्ञ सरदार स्वर्ण सिह ने संविधान
सभा के द्वारा छोडे गये संविधान में नागरिक कत्र्त्व्यों को जुडवाया पूर्व
प्रधानमंत्री श्री अटल विहारी बाजपेयी के कार्यकाल में इसमें एक संशोधन और जोड कर बच्चों को शिक्षित करना सुनिश्चित किया गया, अब बुर्जगों की उपेक्षा समाप्त
उनके प्रति दायित्व बोध संबधी संशोधन भी इसमें
समाहित किया गया है।
श्री सचदेवा ने कहा है कि उनका
मानना है कि अगर नागरिक कर्त्तव्यों को संविधान में शामिल करने के साथ ही उन्हें
प्रभावी बनाये जाने को दंडात्मक व्यवस्था होती तो देश की तस्वीर ही कुछ फर्क होती।
कम से कम अराजकता का माहौल खडाकरने वालों को सार्वजनिक जीवन में कोई स्थान नहीं होता।श्री
सचदेवा ने कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी के लिये कई कडे अनुशासन लागू किये हैं। इनके
तहत पचपन साल के बाद अपनी जिंदगी का महत्वपूर्ण भाग समाज हित में लगाना है, और अगले साल उन्हें यह कार्य
शुरू करना है।श्री सचदेवा ने कहा कि फाऊंडेशन के आगामी कार्यक्रमों में एक हजार डैलीगेटों
की भागीदारी वाली एक सैमीनार का तथा पचास हजार से अधिक बच्चों से अधिक स्कूली बच्चों
को एक साथ कर्त्तव्यों का पालन करने को शपथ दिलवाना लक्ष्यों में शामिलहै।
लगभग तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम
में वक्ताओं ने संविधान में उल्लेखित कर्त्तव्यों को जन चर्चा का विषय बनाया जाना
आज की जरूरत बताया । खुशी जाहिर की कि श्री सचदेवा ने इसके लिये पहल की है।
कार्यक्रम में गुरुद्धारा गुरू
के ताल संत बाबा प्रीतम सिह, महंत योगेशपुरी, नजीर अहमद, मौलाना रियासत अली,नजीर अहमद, डा पंकज महेन्द्रू,रमन बल्ला, राजकुमार भसीन, रानी सिह, अचल शर्मा ,डा राम मोहनशर्मा,बंटी ग्रोवर उपस्थित थे।