--इंडियन सोसायटी ऑफ एनेस्थीसिया, यूपी चैप्टर कार्यशाला के तहत हुई विषय परक गहन चर्चा
-- होटल डबल ट्री (हिल्टन) में डाक्टर करेंगे तीन दिवसीय गहन मंथन
आगरा। ऑपरेशन से पहले मरीज को
बेहोश करना अब उसके लिये दर्दकारी नहीं होगा। क्योंकि
(मैक्स दिल्ली के डा मनीष अग्रवाल ने स्टूडेंटों को दी अल्ट्रा आधारित नर्व ब्लाक तकनीकि की जानकारियां।) |
मरीज के अब डाक्टरों को ऑपरेट
होने वाले अंग को सुन्न करने के लिये ‘अल्ट्रासाउंड’ गाइड करेगा। अट्रासाउंड गायडेड
नर्व ब्लॉक तकनीक के जरिए अब पहले की तुलना में मरीजों के लिए कॉम्पलीकेशन भी काफीहद तक कम हो जाएंगे। वहीं
फाइवर ऑप्टिक ब्रोंकोस्कोप के जरिए दुर्घटना और जलने पर गम्भीर रूप से घायल अवस्था में अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों का इलाज भी काफी हद तक आसान हो गया है।
फाइवर ऑप्टिक ब्रोंकोस्कोप के जरिए दुर्घटना और जलने पर गम्भीर रूप से घायल अवस्था में अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों का इलाज भी काफी हद तक आसान हो गया है।
यह जानकारी एसएन मेडिकल कॉलेज
के डिपार्टमेंट ऑफ एनेस्थीसियोलॉजी एंड क्रिटीकल केयर विभाग द्वारा आयोजित 37वें
वार्षिक तीन दिवसीय ‘यू पी स्कॉन -2015’ (UPISACON 2015) के तत्वावधान में एसएन मेडिकल कॉलेज में आयोजित
वर्कशॉप में दी गई।
वर्कशॉप में उपस्थित 150 से
अधिकल मेडिको छात्र-छात्राओं की भागीदारी रही। विषय विशेषज्ञ के रूप में दिल्ली (मैक्स हॉस्पिटल, साकेत) से आये डॉ. मनीश कुमार ने बताया कि
ऑपरेशन से पहले सम्बंधित अंग को सुन्न करने के लिए अब अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया
जाने लगा है। इस तकनीक से न सिर्फ मरीज के सम्बंधित अंग को सुन्न करना दर्दविहीन होता
है बल्कि पहले ब्लाइंड प्रोसिजर से अंग को
सुन्न करने की तकनीक से मरीज को होने वाले कॉम्पलीकेशन से बचा जा सकेगा। इस विधि
से निश्चित नर्व तक दवा इंजेक्ट होने से दवा की मात्रा भी कम प्रयोग होती है, जिससे टॉक्सीसिटी का खतरा नहीं होता। पहले होने वाले
कॉम्पलीकेशन पर ध्यान दें तो यदि दवा गलती से किसी धमनी में दवा इंजेक्ट होने पर
मरीज की जान पर भी बन सकती थी।
उन्होंने बताया कि सूजन, खून का धक्का जमना, रक्त धमनिकाओं का पंचर हो सकती थी। लेकिन अब ऐसी जटिलताओं
से बचा जा सकेगा।
दिल्ली
से ही आए डॉ. राकेश कुमार ने फाइवर ऑप्टिक ब्रोंकोस्कोप के प्रयोग करने के बारे
में जानकारी देते हुए कहा कि इस तकनीक से
दुर्घटना और जलने पर बहुत ही गम्भीर रूप से जख्मी मरीजों के इलाज में काफी मदद
मिलती है। न सिर्फ घायल मरीज की अंदरूनी इंजरी का पता लगाया जा सकता है बल्कि, घायल अवस्था में जबड़ा बंद होने जैसी स्थिति में मरीज
सर्जरी के लिए बेहोश करने में भी मदद मिलती है। डॉ. मनीश कुमार व डॉ. राकेश कुमार
ने मेडिको छात्र-छात्राओं को इन तकनीकों का डेमो भी करके दिखाया।
इस अवसर पर एनएन मेडिकल कालेज
के एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष प्रो त्रिलोक चंद, डॉ. उमा श्रीवास्तव, डॉ. अर्चना अग्रवाल, डॉ. अपूर्व मित्तल, डॉ. योगिता द्ववेदी, डॉ. अम्रता गुप्ता, डॉ. राजीव पुरी, डॉ. अर्पिता सक्सेना, डॉ. अतिहर्ष मोहन आदि उपस्थित थे।
मोटों के लिये बेहद कारगर है
अट्रासाउंड गाइडेड नर्व ब्लॉक
आगरा। यह तकनीत मोटे मरीजों
के लिए बेहद कारगर है। क्योंकि पहले प्रयोग होने वाली तकनीक में मोटे लोगों में
फैट अधिक होने के कारण दवा इंजेक्ट करने वाले स्थान पर मार्किंग नजर नहीं आती थी।
जिसके कारण मोचे मरीजों में सम्बंधिक नर्व को तलाश करना बेहद मुश्किल होता था।
अट्रासाउंड तकनीक से अब यह समस्या नहीं होगी।