--सैल्फी स्टाइल उनकी खुद की ही बनायी पेटिग को 29, 20 000डालर में बिकी 'साऊथ वे' के आक्शन में
आगरा,आगरा: भारतीय मूल की आर्टिस्ट अमृता शेर
गिल अपनी जन्म शती के ठीक एक साल बाद फिर सुर्खियों में हैं। उनकी खुद की बनायी गयी पेंटिंग को एकिसी कला
कद्रदान ने 2920 000 डालर में नीलाम नीलामी में खरीदा है। साऊथवे के न्यू यार्क
में हुए इस आक्श में लगाये गये इस दाम को अब तक किसी भी भारतीय महिला आर्टिस्ट
की
(ऊंपर के चित्र के में भारत माता
का आशीर्वाद।नीचे के चित्र में
शेरगिल ने स्वयं को खुद ही
कैनवास पर बनाया।)
कलाकृति का सबसे महंगा मूल्य है।
का आशीर्वाद।नीचे के चित्र में
शेरगिल ने स्वयं को खुद ही
कैनवास पर बनाया।)
जो डिजिटल गेजट से अपनी सैल्फी खींचते हैं उन्हे अहसास है कि कितना मुश्किल किन्तु सुखद होता है मनोदिशा की अभिव्यक्ति करने वाला सर्वकालीन महत्व का अपना फोटो उतारना।अमृता इसी में माहिर थीं।किन्तु फोटो न खींच कर खुद को केनवास पर उतारना उनका कला विषय था।वह भी कम कपडो और मोहक आदाओ के साथ। अपने आत्मचित्रों व अनावृत्त चित्रों में वह अपनी ही छवि उकेरती रहीं। अनेक मॉडलों व व्यक्ति चित्रों में इसी न्यूडिटी का खूबसूरत चित्रण है। धरातलीय यथार्थ के इन चित्रों की कला बाजार में आज भी धाक है।
अमृता की सैल्फी स्टाइल की कैनवास पेंटिग तो
उन्होंने बनायी हीं साथ ही गुलामी के दिनों में लाहौर में जो प्रदर्शनी लगायी
उसमें भारत माता का एक चित्र भी था।जो उस समय तो
चर्चा में रहा ही था किन्तु बाद में इसने पूर्व में जो थेडे बहुत प्रचारित थे उन्हें इसी चित्र ने प्रतस्थापि सा कर दिया।
चर्चा में रहा ही था किन्तु बाद में इसने पूर्व में जो थेडे बहुत प्रचारित थे उन्हें इसी चित्र ने प्रतस्थापि सा कर दिया।
फ्रेंच और हंगरी कनैक्शन रखने वाली और भारत के
पंचाब प्रांत से संबधित मानी जाने वाली इस आर्टस्ट के फैमली रूट उ प्र के हैं।गोरखपुर
के गांव के जागीरदार परिवार के गांव से जुडी अमृता पे पिता उमराव सिह शेरगिल
थे जबकि मां हंगेरियन मूल की मारिया ऐंटोनेटी
।अमृता को अपनी शिक्षा खास कर कला का अध्ययन करने का अवसर यूरोप और उसमें भी
पैरिस में मिला।अपनी जिदगी के कुछ बैहतरीन दिन जो उन्हों ने अपने पैतृक गांव
में गुजारे उनमें उन्हें गांव,गरीबी और भारतीय औरतों की मजबूरियों को समझने का
भरपूर मौका मिला ।
उनकी कलाक्षेत्र में रही धाक और सामाजिक क्षेत्र में रही धमक कितनी असरदार होगी इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है ‘अमृता शेर गिल’ की कलासमर्पित जिदगी को वालीवुड की फिल्म का विष मानने के साथ ही एक फिल्म भी बनाये जाने का निश्चय किया गया।।जिसमें सोनम कपूर उनकी भूमिका आदा कर रही हैं।सोनमे ने उनकी भूमिका में जान डालने के लिये अमृता के परिवार से भी बातचीत कर तमाम निजी जानकारियां जुटायी हैं। अमृता शेरगिल के दादा राजा सूरत सिंह (1820-1881) उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में महाराजा रणजीत सिंह के अटारी वालिया व सांधीवालियां की तरह के ही एक जाट क्षत्रप थे। वह धानी ऐस्टेट के मालिक थे। 1839 में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु व द्वितीय अंग्ला-सिख युद्ध की हार के बाद सूरत सिंह की जागीर छीन ली गई और उनको 720 रु. की पेंशन देकर बनारस में देश निकाला कर दिया गया। पर 1857 के गदर के बाद उनको आनरेरी मैजिस्ट्रेट की उपाधि मिली व मजीठा की रियासत भी दी गई। इसके बाद तो मजीठा परिवार बनारस, डुमरी व गोरखपुर के जागीरदार घोषित किए गए।