6 जून 2016

किल्लत खुद हो जायेगी खत्‍म बस फालतू बहने वाले जल समेटने के काम में जुटें

जल अधिकार फाऊंडेशन की सैमीनार में सम्‍मानित किये गये जल संरक्षक 

(आगरा के मुख्‍य विकाास अधिकारी नेगेन्‍द्र प्रताप ने अपने निवासों में जलसरंक्षण की
आधुनिक तकनीकियों के इस्‍तेमाल को कहा,फोटो:असलम सलीमी )

आगरा ताजनगरी के चारों कोनों पर कम से कम मानसून काल और उसके बाद के महीनों में भी बडी जलराशि उपलब्‍ध रहती  है किन्‍तु परंपरावादी  सोच के चलते उसे बहा दिया जाता है और पूरा जनपद फिर से पानी की किल्‍लत  को लेकर साल के अधिकांश महीनों में चलने वाले पानी पानी,हाय पानी के खेल में लग जाता है, यह स्‍थिति समाप्‍त होनी चाहिये और जल अधिकार फाऊंडेशन सहित अन्‍य समान विचारों
(जल अधिकार के अवधेश कुमारउपाध्‍याय,कैलाश गोदका और
डा अम्‍बेडकर विवि क टूरिजम इंस्‍टीटयूट के डयरैक्‍टर लवकुश)
वाले संगठनों  के बैनर के तले इसके लिये जमकर प्रयास होंगे।यह कहना था डा भीमराव अम्‍बेडकर विश्‍वविद्यालय के जे पी मैमोरियल हाल में विश्‍व पर्यावरण दिवस पर आयोजित
आगरा प्‍यासा क्‍यों’ विषयक संगोष्‍ठी वोलने वाले वक्‍ताओं का। आगरा ही नहीं पूरे प्रदेश में संभवत: यह अकेला आयोजन था जिसमें कि सरकार और समाज को पानी के दुरोपयोग  से होने वाले खतरे का अहसास करवाने के साथ ही जल संरक्षण करने वालों के प्रयासों का मल्‍टीमीडिया पर प्रिजेंटेशन बैस्‍ट प्रैक्‍टिस के रूप में
किया गया।
जल अधिकार फाऊंडेशन के दिल्‍ली से आये राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष कैलाश गोदुका ने मुख्‍य वक्‍ता के रूप में संगोष्‍ठी को सम्‍बोधित करते हुए कहा कि प्रकृति का अमूल्‍य वरदान जल अक्षुण है, यह न तो घाटता है ओर नहीं बढता है, बस इसके रूप में बदलाव आता रहता है ,फिर यह किल्‍लत का माहौल क्यों।हकीकत में पानी की कमी का  कारण इसकी व्‍यापक जरूरत और साथ ही अदूरदर्शिता से किया गया कुप्रबंधन है।
श्री गोदुका ने कहा कि दिल्‍ली सरकार ने उनके कुप्रबंधन संबधी कंसैप्‍ट को अंतरिम रूप स्‍वीकार कर प्रबंधन मे सुधार करने का प्रयास किया है फलस्‍वरूप बीस हजार लीटर से कम खपत करने वालों को निशुल्‍क पानी देने की शुरूआत हो चुकी  है। अगर इसी प्रकार सुधार का क्रम चलता रहा तो अन्‍य बडी खपत वाले जल उपभोक्‍ताओं को भी बिना लागत वसूली के पानी दिया जा सकता है। पेशे से चार्टेड एकाऊंटट श्री गोदुका ने कहा कि उनकी बेहतरीन तम जानकारी के अनुसार एक लिटर पानी के इंतजाम, शोधन और वितरण के काम  में सरकार का एक पैसे से भी कम खर्चा आता है। सरकार चूँकि पानी का व्‍यापार नही करतीं इस लिये अगर लागत मूल्‍य पर सप्‍लाई करें तो जलकल विभाग के देयों में भारी कमी होनी चाहिये। सरकारें जनता से कई और तरह से टैक्‍स वसूलती हैं कम से कम जीवन के लिये जरूरी पानी को तो राजस्‍व बढोत्‍तरी और मुनाफा लक्ष्‍यों से बख्‍शें।                                                                         मु्ख्‍य विकास अविकारी नागेन्‍द्र प्रताप सिंह ने कहा कि परिकल्‍पनाओं का अपना महत्‍व होता है किन्‍तु जमीनी सच्‍चाई यही है कि जनपद ही नहीं आसपास के अन्‍य जनपदों में भी पानी की बेहद कमी है और उसे सुविचारित योजनाओं के माध्‍यम से ही दूर किया जा सकता है। श्री सिह ने बताया कि जल संकट से निपटने  के लिये प्रशासन के द्वारा जन सहयोग से कई प्रयास किये जा रहे हैं, पुराने तालाबों और अन्‍य जलस्‍त्रोतों का पता लगाकर उन्‍हे दुबारा से उपयुक्‍त छमता का किये जाने की कोशिश है।फाऊंडेशन के सचिव अवधेश कुमार उपाध्‍या ने कहा कि आगरा में पानी के इंतजाम के लिये कियेग ये अपने प्रयासों को व्‍यापक जन सहयोग मिला है। उन्‍होंने  कहा कि आगरा में पानीकी एक एक बूंद संरक्षित करने का जज्‍बा मुखर हो चुका है। कई परिवारों ने बिना किसी सरकारी सहयोग या प्रचार पाने की बिना चाह के जल संरक्षण के  प्रयोग अपने घरों में कर रखे हैं। जो अन्‍यो के लिये अपने आप में एक उदहारण हैं। भरतपुर हाऊस में भूजल रिचार्ज को अपनाये गये सामूहिक प्रयास का खास उल्‍लेख किया जा सकता है।

चैम्‍बर आफ इंडस्‍ट्रीज के अध्‍यक्ष श्री अशोक कुमार गोयल ने कहा कि जल संरक्षण चैम्‍बर के लक्ष्‍यों में रहा है, इसके लिये संगठन के द्वारा अपनी ओर से तो प्रयास किये ही जाते हैं साथ ही नपागरिक और सरकार के प्रयासों के साथ सहभागिता भी की जाती है। डा भीम राव अम्‍बेडकर विश्‍वविद्यालय के टूरिजम विभाग के अध्‍यक्ष श्री लवकुश मिश्रा ने कहा कि जल संरक्षण के प्रति आम आदमी में चेतना रहनी चाहिये। भविष्‍य में क्‍या स्‍थिति बनेगी यह तो बादकी बात है किन्‍तु मौजूदा दौर कम चुनौती पूर्ण नहीं है। जरूरत से कही कम पानी उपलब्‍ध हो पा रहा है,अगर प्रबंधन को सामूहिक प्रयास हो सका तो पानी का संकट स्‍वत:ही दर हो जायेगा।                            जल संरद्वाण  पर नेहरू नगर के श्री गोयल ने वबना व बजली के रेन वाटी हार्वेस्‍टिंग के  तरीके बताए। दिल्‍ली गेट निवासी वचवक्सक डा. संजीव कुलश्रेष्ठ ने रसोई घर और स्‍नानागार के पानी को घास के नीचे दो फुट पाइप बिछाकर पानी को पुन: इस्‍तेमाल योग्‍य बनाया। पदम राइड के अंकुर जैन ने जीरो डिस्‍चार्ज सिस्‍टम के बारे में और पेयजल और बाथरूम सप्‍लाई  के लिए अलग अलग पाइप लाइन के बारे मं बताया। भरतपुर हाउस कालोनी मं जल सरंक्षण का ब्‍यौरा श्री चरनजीत थापर ने दिया। इन सभी को स्मानित किया गया। जल अधिकार फाउंडेशन के  सचिव  अवधेश  ने लोगों के  जल संरक्षण  के उदाहरण पेश किये  अशोक गोयल, पूर्व विधायक  सतीश चन्‍द्र गुप्‍ता सीताराम अग्रवाल,  वसंघल, अमर मित्‍तल आदि उपस्‍थित थे।