19 सितंबर 2016

27 साल यूपी बेहाल...भरोसे के रंगों से बनेगी यूपी की नयी तस्वीर- राज बब्बर

आगरा : उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बॉलीवुड अभिनेता राजबब्बर  ने अपने फेस बुक पेज पर उत्तर प्रदेश के कई जिले घूमने के बाद कुछ बातें साझा करने की ख्वाहिश जाहिर की।उन्होंने कहा,  इतना तो महसूस हो ही रहा है कि लोगों के भीतर बदलाव की एक प्रबल इच्छा है । ये बदलाव सिर्फ सरकार चलाने वाली पार्टी बदलने की चाहत के तौर पर है, ये कहना गलत होगा । दरअसल लोग सियासत के समूचे कलेवर में ही बदलाव की मांग कर रहे हैं । उनकी जरूरत एक ऐसे सियासत की है जो उनसे रिश्ता कायम कर सके । ऐसा रिश्ता जो चुनाव के बाद खत्म न हो जाता हो । लोगों को ऐसी सियासत की दरकार है जो समाज के सिर्फ एक वर्ग को टारगेट कर अपना काम न चला ले बल्कि जिसके पास हर वर्ग को आत्मसात कर पाने का माद्दा हो ।
कभी कभी ऐसे लोग भी मिलते हैं, खासकर ऐसे युवा जिन्हें मौजूदा सियासत के मिजाज पर आसानी से भरोसा नहीं होता । उन्हें राजनीति सिर्फ वोट पालिटिक्स के तौर पर समझ आती है । उन्हें जब कहता हूं कि सियासत सौदेबाजी नहीं बल्कि साझेदारी है तो वे सहसा विश्वास नहीं कर पाते ।
इन युवाओं के मानस में क्या चल रहा है, ये मैं समझ सकता हूं । पिछले 27 सालों में युवा पीढ़ी की कई नई जमातें संघर्ष पथ पर चलते चलते राज्य में कई बार अपने दौर की सियासत को तोल चुकी हैं या ये कहिए कि झेल चुकी हैं । उन्होंने देखा है कि कैसे 2007 में जातियों को जोड़ा गया और एक सरकार बना ली गई । कैसे उसी फार्मूले में युवा नेता का पुट मिलाया तो 2012 में एक दूसरी सरकार बन गई । कैसे 2014 में अच्छे दिन के सपने दिखाए गए और केंद्र में सरकार बना ली गई । हर बार जीत के बाद इन सबों ने उनके साथ बुरा सलूक किया । इन सब वजहों से अगर युवा पीढ़ी को लगता है कि सियासत तो धोखेबाजी का दूसरा नाम है तो शायद गलत भी नहीं ।
हमने “27 साल यूपी बेहाल" के नारे में दरअसल इस एक बात को ही कहने की कोशिश की है कि इस युवा पीढ़ी ने यूपी में कभी कांग्रेस की सरकार देखी ही नहीं । उन्हें ये महसूस ही नहीं करने दिया गया कि ऐसी भी सरकारें होती हैं जो जाति और मजहब को ही अपना एकमात्र आधार नहीं मानती । कांग्रेस ने अब तक कुटुम्बों को साथ लेकर चलने की राजनीति की है । हमारा यकीन साझेदारी में है । राजनीतिक सत्ता को समाज की बेहतरी के लिए इस्तेमाल करने में है ।
राज्य में घूमते हुए कई बार ऐसा लगता है कि कई मजबूत सियासी ताकतें ने लोगों को लोकतंत्र की अवधारणा के प्रति ही उदासीन बना दिया है । कुछ नहीं बदलेगा कि सोच जगह बनाने लगी है । लेकिन तभी सामने से कोई व्यक्ति हाथ हिलाता हुआ अपनी मस्ती में आगे निकल जाता है । और बस उस एक क्षण में कह जाता है कि लोकतंत्र और समाज के लिए कांग्रेस के संघर्ष को जारी रखना जरूरी है क्योंकि यूपी में इस बार लोगों को साझेदारी वाली राजनीति का इंतजार है ।