अखिलेश थक चुके हैं पिता और चाचा के पुराने तौर तरीकों से
समाजवादी पार्टी अब दो भागों में टूटती नज़र आ रही है। एक तरफ नई विचार धारा और पार्टी को मॉडर्न बनाने के इच्छुक कार्यकर्ताओं का अखिलेश यादव की ओर झुकाव है और दूसरी ओर पुराने तौर तरीके से पार्टी चलाने वाले समाज़वादी लोग। अब पार्टी में सर्वोच्च पद पर रहने वाले मुलायम सिंह की थकान और बढ़ती जा रही है। उनका बेटा अखिलेश जो अभी तक उनके कहने पर चलता था अब अपना वक्तित्व सबके सामने लाना चाहता है।अखिलेश अब अपने पिता मुलायम और चाचा शिवपाल की हर बात सुनने को तैयार नहीं हैं। वह पिता, चाचा अदि के तौर तरीकों से चल रही समाजवादी पार्टी में बदलाव लाना चाहता है। अखिलेश यादव एक नए खून का युवा मुख्य मंत्री है। प्रदेश में भ्रष्टाचार को भी हटाने के लिए उन्होंने कई सराहनीय कदम उठाये हैं। दूसरी तरफ चाचा शिवपाल और पिता मुलायम सिंह का पार्टी को पुरानी तरह से चलाने का अंदाज़ नज़र आता है। अखिलेश ने हाल ही में कुछ भ्रष्ट मंत्रियों की भी छुट्टी भी की थी। जिससे चाचा शिवपाल न खुश थे। वह क्रिमिनल लोगों को भी अपनी पार्टी से दूर रखना चाहते हैं। लगता है अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी से प्रदेश की युवा शक्ति को अपने साथ जोड़कर अपनी पार्टी और प्रदेश को मॉडर्न बनाना चाहते है। देखने से लगता है कि यह लड़ाई परिवार में ही नहीं बल्कि दो पीढ़ियों की विचारधारा के बीच भी है।
समाजवादी पार्टी अब दो भागों में टूटती नज़र आ रही है। एक तरफ नई विचार धारा और पार्टी को मॉडर्न बनाने के इच्छुक कार्यकर्ताओं का अखिलेश यादव की ओर झुकाव है और दूसरी ओर पुराने तौर तरीके से पार्टी चलाने वाले समाज़वादी लोग। अब पार्टी में सर्वोच्च पद पर रहने वाले मुलायम सिंह की थकान और बढ़ती जा रही है। उनका बेटा अखिलेश जो अभी तक उनके कहने पर चलता था अब अपना वक्तित्व सबके सामने लाना चाहता है।अखिलेश अब अपने पिता मुलायम और चाचा शिवपाल की हर बात सुनने को तैयार नहीं हैं। वह पिता, चाचा अदि के तौर तरीकों से चल रही समाजवादी पार्टी में बदलाव लाना चाहता है। अखिलेश यादव एक नए खून का युवा मुख्य मंत्री है। प्रदेश में भ्रष्टाचार को भी हटाने के लिए उन्होंने कई सराहनीय कदम उठाये हैं। दूसरी तरफ चाचा शिवपाल और पिता मुलायम सिंह का पार्टी को पुरानी तरह से चलाने का अंदाज़ नज़र आता है। अखिलेश ने हाल ही में कुछ भ्रष्ट मंत्रियों की भी छुट्टी भी की थी। जिससे चाचा शिवपाल न खुश थे। वह क्रिमिनल लोगों को भी अपनी पार्टी से दूर रखना चाहते हैं। लगता है अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी से प्रदेश की युवा शक्ति को अपने साथ जोड़कर अपनी पार्टी और प्रदेश को मॉडर्न बनाना चाहते है। देखने से लगता है कि यह लड़ाई परिवार में ही नहीं बल्कि दो पीढ़ियों की विचारधारा के बीच भी है।