10 सितंबर 2016

‘कुछ बूंद ओस की’ कविता संग्रह का हुआ विमोचन

--आसान नहीं कि साहित्यिक सृजनशीलता: डा मधु
(मंचस्‍थ :र्सवश्री रमेश पंडित,लेखिका डा मधु भारद्वाज ,डा राम 
अवतशर्मा,रानी सरोज गौरिहार,सोम ठाकुर,डा वेद भारद्वाज।)
रानी सरोज गौरिहार
 
आगरा: साहित्यकार डा मधु भारद्वाज के सृजित कविता संग्रह 'कुछ बूंद ओस की' का लोकापर्ण ग्रांड होटल में आयोजित साहित्यिक समारोह में किया गया। मुख्यातिथि के रूप में प्रख्यात कवि सोम ठाकुर ने साहित्य के प्रति लोगों में कम होते जा रहे अनुराग के परिप्रेक्ष्य में 'कुछ बूंद ओस की' को एक बडी उपलब्धि बताया। आगरा विश्वविद्यालय के पूर्वकुल सचिव डा राम अवतार शर्मा ने कहा कि देखने में अत्यंत साधारण सी रचनाओं में से सभी अंर्तमन को छू जाने वाली हैं। आगरा कॉलेज के पूर्व विभागाध्यक्ष डा खुशीराम शर्मा ने कहा कि मधु को वह बचपन से जानते हैं, अध्ययन और सृजनशीलता को वह हमेशा से ही प्रवृत्त रही हैं.कायर्क्रम की अध्यक्षता कर रही नागरी प्रचारिणी सभा की सभापति रानी सरोज गौरिहार ने कहा कि मधुजी की साहित्य में समझ और दखल रखने की दक्षता उनके लिये नई नहीं है किन्तु उनकी गतिशीलता का उन्हे उस समय अहसास हुआ जबकि कार्यक्रम के लिहये जिन जिन से भी संपर्क किया तो मालूम पडता कि पहले से ही उन्हें मेजवानो की ओर से जानकारी मिल चुकी है। आगरा के जालमा लिप्रौसी संस्थान के पूर्व निदेशक डा बेद भारद्वाज ने कहा कि एक पति के रूप में मधुजी को भरपूर सहयोग दिया किन्तु वैचारिक परपक्वता के साथ कविता लिखना उनकी अपनी उपलब्धि है।
पूर्व विधायक बदन सिह, अरुण डंग, डा राज कुमार, कुमार ललित, रंजन, विनय पतसरिया, हरीश सक्सेना चिमटी, डा सुश्री कमलेश नागर, सुशील सरित श्रीमती डा रेखा पतसरिया, अनिल अरोणा संघर्ष, भगवान सहाय, दिनेश सन्यासी, आर पी तिवारी ' शिखरेश ', अमी अधार निडर, नीलम भटनागर, रामेन्द्र त्रिपाठी, आदि कार्यक्रम में सहभागी थे।
कांग्रेसके प्रदेश उपाध्यक्ष उपेन्द्र सिंह जहां इस अवसर पर स्वयं उपस्थित थे वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने विशेष वाहक के माध्यमसे पत्र भेज कर शुभकामनाये जतायीं। कार्यक्रम का संचालन रेमेश पंडित ने किया।
रावण के यहां सीता को कम कष्ट हुए थे
'कुछ बूंद ओस की' लेखिका डा मधु भारद्वाज कुछ मामलों में परंपरावादी समझ से थोडा हटकर सोच है.कम से कम सीता के एक स्त्री के रूप जी जिंदगी को लेकर। उनका मानना ​​है कि राम उनके पति थे, किन्तु बनवास के दिनों में रहे दिनों केकष्टों को अगर छोड दिया जाये तो भी अयोध्याय के राजा के रूप में साधान और शक्ति संपन्न होजाने के बाद भी सीता सुख से नहीं रह सकीं। डा मधु का कहना है कि लका की अशोक वाटिका में बिताये दिन सीताजी के लिये सबसे शांति और सुरक्षामें बिताये हुए थे। शायद इसी लिये 'कुछ बूंद ओस की' की कुछ रचनाओं में रावण का भी जिक्र आया है। सीताजी के परिप्रेक्ष्य में मधुजी के द्वारा राम की तुलनामें जब 'रावण' को ज्यादा तरजीह दिये जाने को लेकर जब कुछ ज्यादा ही असमंजस का माहौल बनता देखा तो आगरा कॉलेज के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा खुशी राम शर्मा ने कहा मधु का रावण को लेकर विस्तृत अध्ययन है, उनकी डी लिट का विषय भी रामायण के मुख्य पात्रों में से रावण ही है।