ताज नगरी आगरा में बंदर शहरी आदमी की जिंदगी से अलग नहीं होना चाहते है। यहाँ का प्रशासन बंदरों की जनसंख्या बढ़ने से रोकने के प्रयासों में लगा है। किन्तु इनकी संख्या आगरा में इतनी बढ़ चुकी है कि उसपर कण्ट्रोल करना इतना आसान नहीं है। जंगल में रहने वाले ये मकाक बन्दर अब शहरों में मानव के करीब रहना पसंद करते हैं। इन्हें शहर में अपना खाना भी लूट पाट करने में आसानी रहती है। आगरा में लोग बचा हुआ खाना पीना, कूड़ा आदि सड़कों पर कहीं भी फेंकते हैं जिससे बंदरों को ताज नगरी से खास प्रेम है। सड़कों और गलियों में खाने का सामान फेंकर स्थानीय जनता अपनी सही जिमेदारी नहीं नहीं निभा रही है। बंदरों द्वारा लूटपाट , तोडा ताड़ी और अटैक की घटनाएं दिन प्रीतिदिन बढ़ती जा रही है। वाइल्ड लाइफ संगठन आगरा का मानना है कि खाने पीने का सामान सड़कों और गलियों में न फेंकर आगरा की जनता को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।