आगरा। अमरीका से लेकर यूरोप की प्रेस में जो समाचार छपा है उसमें लिखा है ' ताज अब टूरिस्ट सिर्फ तीन घंटे देख सकेंगे।' यह कहीं नहीं लिखा है कि ताज में 3 घंटे से ज्यादा अंदर रुकने के लिए अतिरिक्त भुगतान लिया जायेगा। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है अतिरिक्त भुगतान देकर आप तीन घंटे से ज्यादा ताज भ्रमड़ कर सकते हैं। इससे सरकार की नियत दोहरे खेल वाली लगती है। आखिर इसके पीछे वास्तविकता क्या है, दुगना पैसा कमाना या विज़िटर्स की संख्या सीमित करना है। यदि सरकार वास्तव में विज़िटर्स की संख्या
सीमित करना चाहती है तो 3 घंटे से ज्यादा अंदर रुकने के लिए अतिरिक्त भुगतान मांगने का तातपर्य क्या है। समझ नहीं आता सरकार बिना कारण,टूरिस्टों पर तीन घंटे की बंदिश क्यों लगाना चाहती है। ताजमहल देखना खासतौर से विदेशी मेहमानों के लिए तीन घंटे की बॉलीवुड फिल्म नहीं बल्कि दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक को देखना है। यदि ताजमहल को देखने वालों की संख्या को कम करने की सरकार की मंशा है तो यह फिक्स कर दिया जाये कितने लोग प्रतिदिन ताज देख सकते हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे अधिकतम तीस हज़ार, तब सिर्फ तीस हज़ार टिकट ऑनलाइन, स्थानीय रेलवे स्टेशन या टूरिस्ट ऑफिसों, विंडो आदि के जरिये इंटरनेट पर बेचे जाएँ।