---सामाजिक दृष्टिकोण से सदभावनों को मिलेगा बल
आगरा: ' लव जेहाद ' एक जाना पहचाना जुमला है, सामान्य तौर पर माना
जाता है कि इसके तहत मुस्लिम लडके या शदीशुदा रहचुके किसी गैर मुस्लिम लडकी से प्रेम करते है और निकाह भी रचाते हैं। यही नहीं लडकियों में से अधिकांश को शादी के पहले मुस्लिम धर्म को भी कुबूल करना होता है। यह तो हुआ
जुमले को लेकर प्रचलित रहती आयी व्याख्या का एक पक्ष । जबकि दूसरा पक्ष है धार्मिक सहष्णुता में विश्वास रखने वाले
जब आपस में जीवन साथी बनना या इस्लामी रीतिरिवाजों के तहत एक दूसरे को कुबूल कर लेते है ।तय कर अदालत
जुमले को लेकर प्रचलित रहती आयी व्याख्या का एक पक्ष । जबकि दूसरा पक्ष है धार्मिक सहष्णुता में विश्वास रखने वाले
जब आपस में जीवन साथी बनना या इस्लामी रीतिरिवाजों के तहत एक दूसरे को कुबूल कर लेते है ।तय कर अदालत
बस यही लव जेहाद से जुडा वह ज्वलंत मुद्दा है ,जिस पर 21 अप्रैल को सैंटपीटर्स कॉलेज में सांय 4बजे 'लव वर्सेस जेहाद' के तहत खुलकर चर्चा होनी है। पैनल डिस्कशन एंड बुक लांच ' कार्यक्रम के तहत दर्शकों और श्रेाताओं की भी आयोजन में प्रत्यक्ष भागीदारी रहेगी। पैनलिस्टों में शामिल हैं देश के प्रख्यात पत्रकार सतीश जैकब, पत्रकार एवं हिन्दुस्तान टाइम्स के अपने समय के तेजतर्रार पेनी आंख के माने जाने वाले पूर्व स्टाफर डा विपुल मुदगल, प्रख्यात इतिहास विद् प्रो डा आर सी शर्मा और पटियाला यूनिवर्स्टी के प्रौ. डा कुलदीप सिंह।
अमृत विद्या एजूकेशन फार इममोर्टलिटी सोसायटी, आगरा, फाक लोर रिसर्च एकैडैमी ,अमृतसर एवं पाकिस्तान -इंडिया पीपुल्स फोरम फार पीस ऐंड डैमोक्रेसी, नई दिल्ली।
कार्यक्रम के कन्वीनर एवं अमृत विद्या इमोटे्रलिटी सोसायटी आगरा के जनरल सैकेट्री अनिल शर्मा के अनुसार यह मुद्दा एक दम संवेदनशील रहा है किन्तु मानव व्यवहार और प्रकृति प्रदत्त स्वभाविक मानीय अनुभूमियों और अभिव्यक्तियों के प्रति समाज के दृष्टिकोण की संकीर्णता से इसे बाहर निकालने के उपायों के क्रम में ही यह आयोजन है। डिस्कशन कितना उपयोगी और दिशा देने वाला साबित हो पाता है यह तो बाद में ही मालूम पड सकेगा किन्तु इस माले को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में बनी चली आ रही जडता की स्थिति अवश्य समाप्त होगी।
श्री शर्मा ने कहा कि युवावर्ग समाज में सबसे अधिक ऊर्जावान होता है, समाज को इससे ताकत मिलती है और जब यह परिवार की इकाई के रूप में सक्रिय हो योगदान देता है तो समाज , देश और वयवस्था को भरपूर ऊर्जा मिलती है। उन्हों ने कहा कि आयोजन के प्रति रुझान उत्साहबर्धक रहा है। महानगर के बुद्धिजीवी बडी संख्या में आयोजन के प्रति अपनी भारी दिलचस्पी दिखा चुके हैं।उम्मीद है कि वैचारिक रूप से परपक्व पैनेलिस्ट तत्काल अपने सामने खडे किये जाने वाले यक्ष प्रश्नों का भले ही कोयी उत्तर तत्परता से नहीं दे सकें किन्तु धर्म निष्पक्षता , सहष्णुता और राष्ट्रीय एकीकरण को तो जश्रर बल देंगे।