-- सुविधाओं की नगण्यता के बाबजूद जमकर टोल वसूली
'ए डी एफ' ने रोड ट्रैफिक की सुरक्षा को दृष्टिगत जो अन्य सुझाव शासन को दिये है उनमें वाहनों की ' ओवर स्पीडिंग ' को रोकने, एम्बुलेन्स व ट्रॉमा सेन्टर की प्रभावी व्यवस्था व जन सुविधाओं को तुरन्त उपलब्ध कराया जाना भी शामिल है।
आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन के सचिव श्री के0सी0 जैन ने हाल में ही देश के अब तक के सबसे लम्बे इस एक्सप्रेस वे का निरीक्षण कर यात्रा करने वालों की सुरक्षा को प्रभावी बनाये जाने संबधी संभावनाओ का आंकलन किया था। उन्होंने आधिकारिक रूप से जानकारी जुटाने के लिये ' आर टी आई ' एक्ट का सहारा लिया । फलस्वरूप आगरा-लखनऊ के बीच के इस द्रुतगामी मार्ग के बारे मे इसके प्रमोटर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण( यूपीइडा ) को उन तमाम जानकारियों को सार्वजनिक करना पडा जो कि राज्य की विधायिका के सदनो के सदस्य भी जनता को अब तक उपलब्ध नहीं करवा सके थे। उल्लेखनीय है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 19-20 जनवरी की रात 12 बजे से टोल टैक्स 570 रुपये लगना शुरू हो गया था । किन्तु सरकार टैक्स वसूली शुरू हो जाने के बाद उन तमाम दायित्वों को भूल गयी जो कि इस प्राजेक्ट के साथ जुडे हुए हैं। वर्तमान में यह मार्ग ६-लेन चौड़ा है, और भविष्य में ८-लेन तक विस्तरित हो सकता है।किन्तु अब तक न तो इसका संचालन सुरक्षित सडक मानकों के अनुरूप ही हो सका है और न ही यह उन परिकल्पना करने वालों की अवधारणा के अनुरूप ही साबित हो सका है जिनका मानना था कि इसका मार्ग में पडने वाले जनपदों के औद्योगिक विकास में भी योगदान रहेगा।
बेहद असुरक्षा : नौ महीने में 100मौतें
19 जनवरी 2018 एक्सप्रेस वे से सरकार टौल तो वसूलने लगी किन्तु प्रबंधन के प्रति दायित्व भूल गयी। , मसलन अभी तक इस एक्सप्रेस वे पर बेतहाशा तेज गति से दौड़ने वाले वाहनों को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हुई है, परिणाम स्वरूप अगस्त-2017 से मार्च-2018 तक 853 हादसों में 100 लोगों की मृत्यु एक्सप्रेस वे पर हो चुकी है। इसी प्रकार इस पर पार्किंग व पेट्रोल पम्प जैसी अधारभूत सुविधायें भी अभी तक प्रारंभ नहीं हुई है, जिन्हें कि जून-2018 के अंत तक शुरू होने की जानकारी आर टी आई में कही गयी थी1
उ0प्र0 एक्सपे्रसवेज इन्डस्ट्रियल डेवलपमेन्ट अथार्टी (यूपीडा) ने एक अन्य जानकारी में बताया हैै कि हल्के वाहनों हेतु एक्सप्रेसवे पर गतिसीमा 100 किमी प्रति घंटा व भारी वाहनों हेतु गतिसीमा 80 किमी प्रति घंटा है, गति सीमा का उल्लंघन को रोकने एवं ट्रैफिक की सुरक्षा के लिए ‘एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम’ के अंतर्गत 10 कैमरे लगाये जाने हैं, जिनको लगाने के लिए निविदा प्रक्रिया यूपीडा द्वारा प्रारंभ की जा चुकी है। उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-2018 में 7 लाख से ज्यादा वाहन एक्सप्रेसवे से गुजरे, जिनसे 14 करोड़ से अधिक की राशि टोल टैक्स के रूप में प्राप्त हुई।
अगस्त-2017 से मार्च-2018 के बीच इस एक्सप्रेसवे पर हर तीन दिन में औसत एक व्यक्ति कालग्रसित हुआ। आवा-गमन को सुगम करने वाला कहेे जाने वालेे इस मार्ग इतना खतरनाक साबित होना तमाम नकारात्मक अवधारणा करते रहने वालों तक को अनुमानित नहीं था।
पूछे गये एक सवाल के जबाब में 'अथार्टी' ने बताया है कि पेयजल और शौचालय की सुविधा 04 वे-साइड एमेनिटीज़ स्थल के रूप में प्रारंभ की जा चुकी हैं। खानपान का संचालन अप्रैल -2018 तक प्रारंभ किया जाना लक्षित था। पार्किंग, विश्राम हेतु कक्षों एवं डोरमेटरी तथा पेट्रोल पम्प का संचालन जून-2018 तक प्रारंभ किया जाना था। यूपीडा द्वारा यह भी बताया गया कि वे-साइड एमेनिटीज़ एरिया में 10-10 बैड के ट्रॉमा सेन्टर संचालित किया जाना विचाराधीन हैं।
ए डी एफ के सवालों के घेरे में
श्री के0सी0 जैन जो कि पेशे से एक एडवोकेट है और इन्फ्रास्ट्रैक्चर सैक्टर की गतविधियों मानकअनुसार करवाये जाने को सक्रिय रहने वाले एक्टविस्ट की पहचान रखते हैं द्वारा, पार्किंग, पेट्रोल पम्प, ट्रॉमा सेन्टर व गतिनियंत्रण हेतु कैमरों को लगाये बिना करोड़ों रुपया प्रतिमाह टोल के रूप में वसूले जाने को औचित्य हीन बताया हैं। उनका कहना है कि गतिनियंत्रण व सुविधाओं के अभाव में हादसे हो रहे हैं जबकि एक्सप्रेसवे का उद्देश्य वाहनों को तेज गति से चलवाने तकही सीमित न होकर सुरक्षित यातायात व्यवस्था भी संभव करना है । उनका मानना है कि आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण विगत 9 माहों में 853 हादसों में 100 व्यक्तियों ने अपनी जान गंवा दी। ट्रॉमा सेन्टर व चिकित्सकीय सुविधाओं की कमी ने एक्सप्रेसवे को ओर भी अधिक असुरक्षित बना दिया है।
एमिनिटीज तो उपलब्ध करवायें
एडीएफ की ओर से यह भी प्रश्न उठाया गया है कि 302 किमी लम्बे एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक दिशा में केवल दो-दो स्थानों पर वे-साइड एमेनिटीज़ होना जरूरत से कहीं कम है। जबकि 165 किमी लम्बे यमुना एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक दिशा में तीन-तीन स्थानों पर ऐसी सुविधायें हैं। लखनऊ एक्सप्रेसवे पर ये सुविधायें प्रत्येक दिशा में पाँच-पाँच स्थानों पर तो होनी ही चाहिए।
ए डी एफ का कहना है कि गतिनियंत्रण के लिए भी जल्दी से जल्दी कैमरे लगाये जाने चाहिए और गति उल्लंघन करने वाले वाहनों का चालान होना चाहिए। यमुना एक्सप्रेसवे पर भी ऐसे ही कैमरे लगे हुए हैं, जिनके अनुसार पिछले पांच वर्षों में 2 करोड़ 30 लाख वाहनों ने गति उल्लंघन किया था यह बात अलग है कि चालान कुल 18 हजार ही हुए।किन्तु इस अदृष्य सर्विलांस व्यवस्था का व्यापक मनोवैज्ञानिक असर है । एडीएफ के अनुसार लखनऊ एक्सप्रेसवे को सुरक्षित बनाने के लिए न केवल कैमरे ही लगाये बल्कि गति उल्लंघन के विरुद्ध प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित हो।
प्रस्तावित व्यवस्थायें
उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम के अंतर्गत एक्सप्रेस वे के लिये जो व्यवस्थायें प्रस्तावित , उनमें शामिल हैं : -
--आपातकाल की स्थिति में एक्सप्रेसवे उपयोगकर्ताओं/सुरक्षाकर्मियों द्वारा कन्ट्रोल सेन्टर से सम्पर्क स्थापित कर सूचना उपलब्ध कराने हेतु 76 नग इलेक्ट्रानिक काॅल बूथ की स्थापना।
--रियल टाइम डेटा प्राप्त कर एक्सप्रेसवे पर सुचारू एवं सुरक्षित ट्रैफिक प्रबंधन हेतु 50 नग सी0सी0 टी0वी. उपकरणों की स्थापना।
-- वाहनों के नम्बर प्लेट को रिकाॅर्ड करने की क्षमता वाले कैमरों तथा वाहनों की गति मापने के यंत्रों की 10 स्थलों पर स्थापना।
--एक्सप्रेसवे में 34 स्थलों पर ऑटोमैटिक व्हीकल क्लासिफायर और काउण्टर की स्थापना व संचालन।
-- यात्रा को सुरक्षित व सुगम बनाने हेतु ए0टी0एम0एस0 उपकरणों के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं को मोबाइल ऐप के माध्यम से एक्सप्रेसवे के उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराना।
-- एक्सप्रेसवे के 03 कण्ट्रोल सेन्टर स्थलों पर वृहद डिस्प्ले बोर्ड, नेटवर्क मैनेजमेन्ट सिस्टम सहित सेन्ट्रल कम्प्यूटर, सी0सी0 टी0वी0 माॅनिटरिंग सिस्टम एवं काॅल सेन्टर की स्थापना।
--आगरा एवं लखनऊ के निकट स्थित टोल प्लाज़ा पर ए0टी0एम0एस0 कार्यों की सड़क सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदर्शन।
सुविधायें संभव करवायें तब वसूलें टौल:के सी जैन |
आगरा: लखनऊ -आगरा एक्सप्रेस वे पर चलने वाले वाहनों को इंश्योरैंस कवर दिया जाना अत्यंत आवश्यक है , लगातार घट रही वाहन दुर्घटनाओं और बनी चल रही असुरक्षा की स्थति को दृष्टिगत यह और भी जरूरी हो गया है। यह मांग उ प्र शासन के समक्ष आगरा डव्लपमेंट फाऊंडेशन( ए डी एु) के द्वारा उठायी गयी है। ' ए डी एफ' ने यह भी सुझाव दिया है कि इंश्योरैंस कवर शुल्क या तो सरकार स्वयं दे अथवा टौल के साथ इसे वसूल लिया जाया करे। फाऊंडेशन के अध्यक्ष श्री पूरन डावर ने कहा है कि जब भी दुर्घटनाये घ्ाटती हैं इंश्योरैंस कवर सरकार और प्रभावित पक्ष के लिये खास राहतकारी
साबित होते हैं।इंश्योरैंस कवर निहायत जरूरी
-पूूूूरन डावर |
आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन के सचिव श्री के0सी0 जैन ने हाल में ही देश के अब तक के सबसे लम्बे इस एक्सप्रेस वे का निरीक्षण कर यात्रा करने वालों की सुरक्षा को प्रभावी बनाये जाने संबधी संभावनाओ का आंकलन किया था। उन्होंने आधिकारिक रूप से जानकारी जुटाने के लिये ' आर टी आई ' एक्ट का सहारा लिया । फलस्वरूप आगरा-लखनऊ के बीच के इस द्रुतगामी मार्ग के बारे मे इसके प्रमोटर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण( यूपीइडा ) को उन तमाम जानकारियों को सार्वजनिक करना पडा जो कि राज्य की विधायिका के सदनो के सदस्य भी जनता को अब तक उपलब्ध नहीं करवा सके थे। उल्लेखनीय है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 19-20 जनवरी की रात 12 बजे से टोल टैक्स 570 रुपये लगना शुरू हो गया था । किन्तु सरकार टैक्स वसूली शुरू हो जाने के बाद उन तमाम दायित्वों को भूल गयी जो कि इस प्राजेक्ट के साथ जुडे हुए हैं। वर्तमान में यह मार्ग ६-लेन चौड़ा है, और भविष्य में ८-लेन तक विस्तरित हो सकता है।किन्तु अब तक न तो इसका संचालन सुरक्षित सडक मानकों के अनुरूप ही हो सका है और न ही यह उन परिकल्पना करने वालों की अवधारणा के अनुरूप ही साबित हो सका है जिनका मानना था कि इसका मार्ग में पडने वाले जनपदों के औद्योगिक विकास में भी योगदान रहेगा।
बेहद असुरक्षा : नौ महीने में 100मौतें
19 जनवरी 2018 एक्सप्रेस वे से सरकार टौल तो वसूलने लगी किन्तु प्रबंधन के प्रति दायित्व भूल गयी। , मसलन अभी तक इस एक्सप्रेस वे पर बेतहाशा तेज गति से दौड़ने वाले वाहनों को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हुई है, परिणाम स्वरूप अगस्त-2017 से मार्च-2018 तक 853 हादसों में 100 लोगों की मृत्यु एक्सप्रेस वे पर हो चुकी है। इसी प्रकार इस पर पार्किंग व पेट्रोल पम्प जैसी अधारभूत सुविधायें भी अभी तक प्रारंभ नहीं हुई है, जिन्हें कि जून-2018 के अंत तक शुरू होने की जानकारी आर टी आई में कही गयी थी1
उ0प्र0 एक्सपे्रसवेज इन्डस्ट्रियल डेवलपमेन्ट अथार्टी (यूपीडा) ने एक अन्य जानकारी में बताया हैै कि हल्के वाहनों हेतु एक्सप्रेसवे पर गतिसीमा 100 किमी प्रति घंटा व भारी वाहनों हेतु गतिसीमा 80 किमी प्रति घंटा है, गति सीमा का उल्लंघन को रोकने एवं ट्रैफिक की सुरक्षा के लिए ‘एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम’ के अंतर्गत 10 कैमरे लगाये जाने हैं, जिनको लगाने के लिए निविदा प्रक्रिया यूपीडा द्वारा प्रारंभ की जा चुकी है। उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-2018 में 7 लाख से ज्यादा वाहन एक्सप्रेसवे से गुजरे, जिनसे 14 करोड़ से अधिक की राशि टोल टैक्स के रूप में प्राप्त हुई।
अगस्त-2017 से मार्च-2018 के बीच इस एक्सप्रेसवे पर हर तीन दिन में औसत एक व्यक्ति कालग्रसित हुआ। आवा-गमन को सुगम करने वाला कहेे जाने वालेे इस मार्ग इतना खतरनाक साबित होना तमाम नकारात्मक अवधारणा करते रहने वालों तक को अनुमानित नहीं था।
पूछे गये एक सवाल के जबाब में 'अथार्टी' ने बताया है कि पेयजल और शौचालय की सुविधा 04 वे-साइड एमेनिटीज़ स्थल के रूप में प्रारंभ की जा चुकी हैं। खानपान का संचालन अप्रैल -2018 तक प्रारंभ किया जाना लक्षित था। पार्किंग, विश्राम हेतु कक्षों एवं डोरमेटरी तथा पेट्रोल पम्प का संचालन जून-2018 तक प्रारंभ किया जाना था। यूपीडा द्वारा यह भी बताया गया कि वे-साइड एमेनिटीज़ एरिया में 10-10 बैड के ट्रॉमा सेन्टर संचालित किया जाना विचाराधीन हैं।
ए डी एफ के सवालों के घेरे में
श्री के0सी0 जैन जो कि पेशे से एक एडवोकेट है और इन्फ्रास्ट्रैक्चर सैक्टर की गतविधियों मानकअनुसार करवाये जाने को सक्रिय रहने वाले एक्टविस्ट की पहचान रखते हैं द्वारा, पार्किंग, पेट्रोल पम्प, ट्रॉमा सेन्टर व गतिनियंत्रण हेतु कैमरों को लगाये बिना करोड़ों रुपया प्रतिमाह टोल के रूप में वसूले जाने को औचित्य हीन बताया हैं। उनका कहना है कि गतिनियंत्रण व सुविधाओं के अभाव में हादसे हो रहे हैं जबकि एक्सप्रेसवे का उद्देश्य वाहनों को तेज गति से चलवाने तकही सीमित न होकर सुरक्षित यातायात व्यवस्था भी संभव करना है । उनका मानना है कि आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण विगत 9 माहों में 853 हादसों में 100 व्यक्तियों ने अपनी जान गंवा दी। ट्रॉमा सेन्टर व चिकित्सकीय सुविधाओं की कमी ने एक्सप्रेसवे को ओर भी अधिक असुरक्षित बना दिया है।
एमिनिटीज तो उपलब्ध करवायें
एडीएफ की ओर से यह भी प्रश्न उठाया गया है कि 302 किमी लम्बे एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक दिशा में केवल दो-दो स्थानों पर वे-साइड एमेनिटीज़ होना जरूरत से कहीं कम है। जबकि 165 किमी लम्बे यमुना एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक दिशा में तीन-तीन स्थानों पर ऐसी सुविधायें हैं। लखनऊ एक्सप्रेसवे पर ये सुविधायें प्रत्येक दिशा में पाँच-पाँच स्थानों पर तो होनी ही चाहिए।
ए डी एफ का कहना है कि गतिनियंत्रण के लिए भी जल्दी से जल्दी कैमरे लगाये जाने चाहिए और गति उल्लंघन करने वाले वाहनों का चालान होना चाहिए। यमुना एक्सप्रेसवे पर भी ऐसे ही कैमरे लगे हुए हैं, जिनके अनुसार पिछले पांच वर्षों में 2 करोड़ 30 लाख वाहनों ने गति उल्लंघन किया था यह बात अलग है कि चालान कुल 18 हजार ही हुए।किन्तु इस अदृष्य सर्विलांस व्यवस्था का व्यापक मनोवैज्ञानिक असर है । एडीएफ के अनुसार लखनऊ एक्सप्रेसवे को सुरक्षित बनाने के लिए न केवल कैमरे ही लगाये बल्कि गति उल्लंघन के विरुद्ध प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित हो।
प्रस्तावित व्यवस्थायें
उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम के अंतर्गत एक्सप्रेस वे के लिये जो व्यवस्थायें प्रस्तावित , उनमें शामिल हैं : -
--आपातकाल की स्थिति में एक्सप्रेसवे उपयोगकर्ताओं/सुरक्षाकर्मियों द्वारा कन्ट्रोल सेन्टर से सम्पर्क स्थापित कर सूचना उपलब्ध कराने हेतु 76 नग इलेक्ट्रानिक काॅल बूथ की स्थापना।
--रियल टाइम डेटा प्राप्त कर एक्सप्रेसवे पर सुचारू एवं सुरक्षित ट्रैफिक प्रबंधन हेतु 50 नग सी0सी0 टी0वी. उपकरणों की स्थापना।
-- वाहनों के नम्बर प्लेट को रिकाॅर्ड करने की क्षमता वाले कैमरों तथा वाहनों की गति मापने के यंत्रों की 10 स्थलों पर स्थापना।
--एक्सप्रेसवे में 34 स्थलों पर ऑटोमैटिक व्हीकल क्लासिफायर और काउण्टर की स्थापना व संचालन।
-- यात्रा को सुरक्षित व सुगम बनाने हेतु ए0टी0एम0एस0 उपकरणों के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं को मोबाइल ऐप के माध्यम से एक्सप्रेसवे के उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराना।
-- एक्सप्रेसवे के 03 कण्ट्रोल सेन्टर स्थलों पर वृहद डिस्प्ले बोर्ड, नेटवर्क मैनेजमेन्ट सिस्टम सहित सेन्ट्रल कम्प्यूटर, सी0सी0 टी0वी0 माॅनिटरिंग सिस्टम एवं काॅल सेन्टर की स्थापना।
--आगरा एवं लखनऊ के निकट स्थित टोल प्लाज़ा पर ए0टी0एम0एस0 कार्यों की सड़क सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदर्शन।