चार हेक्टेयर जमीन का इंतजाम करने से बचने को कार्गो प्रोजेक्ट को ही सरकाया ठंडे बस्ते में
राजीव,डा शिरोमणी ,डा संजय,एवं अनिल,फोटो :असलम |
आगरा: पं दीन दयाल उपाध्याय सिविल एयर एन्कलेव की मूल योजना में ' एयर कार्गो ' सेवा का प्राविधान है और इसे महज इस लिये हटाये जाने की तैयारी है क्यो कि राज्य सरकार इसके लिये सिविल एन्कलेव की चिन्हित जमीन में से चार हेक्टेयर जमीन खरीदने से बचना चाहती है। अब तक एयर कार्गो के मामले पर केवल जवानी जमा खर्च चल रहा था किन्तु जब सिविल एन्कलेव प्रोजेक्ट के प्रति गंभीर रूप से
प्रासरत 'सिविल सोसायटी आगरा' को आर टी आई एक्ट के तहत मांगी जानकारियों से भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी तो सोसायटी के द्वारा इसे लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है।
प्रासरत 'सिविल सोसायटी आगरा' को आर टी आई एक्ट के तहत मांगी जानकारियों से भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी तो सोसायटी के द्वारा इसे लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है।
सिवल सोसायटी के अध्यक्ष डा शिरोमणी सिह और अनिल शर्मा ने हरियाली वाटिका में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि हाईकोर्ट में आगरा सिविल एन्कलेव को लेकर विचाराधीन याचिका (संख्या. 33628 वर्ष 2017) में सप्लीमेंट्री हलनामें के माध्यम से यह मामला उठाया है। सिविल सेासयटी के पदाधिकारियों का कहना है कि मौजूदा परिस्थतियों में बिना एयरकार्गों की सुविधा के सिविल एन्कलेव की कल्पना सरकारी अमला कैसे कर रहा है। मुख्यमंत्री को सिविल एन्कलेव को छोटे शहरो की जरूरत के लिये बनायी जाने वाली हवाई पट्टी बनाये जाने के प्राजेकट में तब्दील होने से रोकना चाहिये। उन्हें खुद ही सचेत होना चाहिये कि पं दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर होने वाला काम निम्न स्तर और सीमित सुविधाओं वाला होकर न रह जाये।
सिविल एन्कलेव में 1994 से शामिल है एयर कार्गो की सेवा :
प्रेस वार्ता में मौजूद डा संजय चतुर्वेदी ने कहा कि 1994 में हुए एक नोटिफिकेशन के अनुसार आगरा सिविल एन्कलेव एयरकार्गो आप्रेशन की सुविधायुक्त रहा है । जिन लोगों को इसे लेकर अगर कोयी संदेह हो तो कस्टम विभाग और एयरपोट्र अथार्टी आफ इंडिया के द्वारा नोटिफिकेशनों की जाकारी ले लें। श्री चतुर्वेदी ने कहा चूंकि सिविल एन्कलेव अब तक एयरफर्स स्टेशन के परिसर मे है, इस लिये वहां की एयरकार्गो सेवा के अनुकूल स्थितियां नहीं रहीं किन्तु अब तक जब सिविल एन्केलव वायुसेना परिसर से बाहर होने जा रहा है तो इस सेवा के तेजी से बढने और पनपने की संभावना है।
सिविल सोसायटी के राजीव सक्सेना ने कहा है कि सिविल एन्कलेव बनना शुरू होने तक के लिये प्रदेश के किसी कैबीनेट मंत्री को मासिक प्रगति समीक्षा का दायित्व सोंपा जाना चाहिये । जिससे कि प्रोजेकट से संबधित अधिकारियों के द्वारा अब तक दिखायी जाती रही कार्य शिथिलता रुक सके।
पं दीन दयाल उपाध्याय का नाम जुडने से भी नही आ सकी तेजी :
पंडित सामान्यत: किसी राष्ट्रीय नेता के नाम पर शुरू की जाने वाली योजना या प्रोजेक्ट को लेकर प्रतिद्वन्दी विचारधारा के लोग विरोध करते हैं और काम में तरह तरह के अड़ंगे डालते हैं किन्तु आगरा इसका अपवाद है, भारतीय जनसंघ (वर्तमान भारतीय जनता पार्टी) के संस्थापकों में से एक पं दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर होने वाले कामों में खुद उन्हीं की विचारधारा को आदर्श मानकर सत्ता तक पहुंचे दल के सक्रिय जन ही कामों में अडंगे लगा रहे हैं। मथुरा और आगरा के इन तमाम कार्यों में अब पं दीन दयाल उपाध्याय सिविल एन्कलेव का प्रोजेकट भी शामिल हो गया है।
आगरा में प्रदेश का दूसरे नम्बर का सबसे पुराना सिविल एन्कलेव (आगरा एयरपोर्ट) एयरफोर्स स्टेशन खेरिया मे संचालित है। इसे ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रूप में शहरवासी वायुसेना परिसर से बाहर धनौली में ले जाना चाहते थे । परिसर के बाहर शिफटिंग की बात को स्वीकर कर प्रदेश की भाजपा सरकार ने इसके इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाये जाने के विचार पर विराम लगा कर सिविल एन्कलेव के रूप में ही खेरिया एयरपोर्ट के रूप में शिफ्ट करवाये जाने की योजना को हरीझंडी देकर , ' आगरा सिविल एन्कलेव ' का नाम बदल कर 'पं दीन दयाल उपाध्याय एन्कलेव' कर दिया ।
आगरा के इंडस्ट्रियलिस्टों और हवाई सेवा के उपयोग कर्त्ताओं खास कर टूरिस्ट ट्रेड के लोगों ने समझा कि नाम से कुछ खास फर्क नहीं पडेगा , लो शायद उपाध्याय जी का नाम एन्कलेव प्राजेक्ट से जुड जाने मात्र से ही काम आसान हो जायेगा। किन्तु हुआ उल्टा जहां प्रदेश के अन्य एयरपोर्टों के कामों में तजी आयेी वहीं , आगरा सिविल एन्कलेव की कार्यप्रगति एकदम मंद पड गयी। चिन्हित जमीन का पूरी तरह से अधिग्रहण कर एयरपोर्ट अथार्टी आफ इंडिया को सोंपे जाने का काम तो अब तक पूरा नहीं हो सका है । यही नहीं जमीन पूर्व निश्चित आकार से कम अधिग्रहित की जा रही है। फलस्वरूप एयर कार्गो जैसी आगरा के लिये लिये जरूरी सेवा को सिविल एन्कलेव से हटाये जाने की तैयारी कर ली गयी । यही नहीं सरकारी दल के माऊथपीसों ने सरकार को आरोपों से बचाने को यह कहना प्रारंभ कर दिया कि सिविल एन्कलेव योजना मे एयरकार्गो शामिल ही नहीं था।