बैंक सेवाओं पर लगे सर्विस टैक्स के मौजूदा स्वरूप पर भी पुनर्विचार हो
बैंकिंग क्षेत्र की छुट्टियों पर पुनर्विचार हो:राजीव गुप्ता |
आगरा: बैंकों में अवकाशों की बढती संख्या से कारोबारियों ही नहीं आम लोगों को भी बेहद मुश्किलों का सामना करना पड रहा है। आटो मोवाइल एोसियेशन आफ आगरा के अध्यक्ष श्री राजीव गुप्ता ने भारतीय रिजब्र बैंक के गर्वनर एवं वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव को प्रेषित पत्र में बैंकों के बन्दी दिवसों की बढती संख्या पर चिंता जताते हुए कहा है कि पूर्व से घोषित कलैंडर के अवकाशों के अलावा भी जो बन्दी दिवस होते हैं उनको लेकर सरकार को गंभीरता पूर्वक विचार कर स्पष्ट नीति तय करनी चाहिये। उन्होंने बैंकिंग सेवाओं में से मनीट्रांजेक्शन को सर्विस टैक्स से बाहर करने को जरूरी बताया है। श्री गुप्ता जो कि उ प्र चैम्बर आफ इंडस्ट्रीज ऐंड कामर्स के पूर्व अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि भारत सरकार के द्वारा ' नोट बन्दी ' करने के बाद से बैंकों को लेकर बने अनिश्चितता के माहौल को एक हकीकत के रूप से
स्वीकार कर इसे तजी से सामान्य बनाये जाने के लिये व्यापक कदम उठाये जाने चाहिये। इन कदमों मे संचालित एटीएम पर पर्याप्त नोटों की संख्या, ड्राफट बनाये जाने में अरुचि बनाने की प्रवृत्ति पर अंकुश, बैंक की किसी भी शाखा में दूसरी शाख के जमा को स्वीकार करने की सुनिश्चित्ता, तथा कस्टमरों के डिजिटल डॉक्यूमेंटों की हार्ड कापी की सत्यपित फोटो कापियों की अपेक्षा की अनिवार्यता समाप्त होनी चाहिये।
श्री गुप्ता ने बताया कि उनसे सरकार की ओर से संपर्क किया गया है और वह अपेक्षित जानकारियों को पुन: भिजवायेंगे भी किन्तु इससे पहले वह अपने हमपेशाओं व्यापारिक संघटनों से भी सलहा मश्वरा करेंगे। उनके द्वारा मुद्दे भले ही निजी तौर पर ही उठाये गये हो किन्तु व्यापक महत्व वाले हैं।
श्री गुप्ता ने कहा कि कुछ साल पहले तक बहुत कम लोगों को ही बैंक जाने की जरूरत पडती थी किन्तु जब से बैंक की डिजिटल -आन लाइन सेवाये शुरू हुई हैं बैंको पर निर्भता करने वालों की संख्या लगातार बढ रही है। लगातार पडने वाली दो दो - तीन तीन दिन की छुटटियां अखरने लगी है। एक प्रशन के उत्तर मे श्री गुप्ता ने कहा कि वह बैंक कर्मचारियों की सुविधाओं की बढोत्तरी के विरोधी नहीं है, यह सरकार और बैंक कर्मियों के बीच का मामला है।किन्तु इतना जरूर मानते है कि गुणवत्ता वाली सेवायें लेनी है तो बैंक स्टाफ के वैल्फेयर के बारे में भी सोचना ही होगा।