( बुढ़िया का ताल ) |
आगरा जनपद के एत्मादपुर तहसील अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग के पास बुढ़िया का ताल स्थित बौद्ध धर्म के अवशेषों के गंभीरता से संरक्षण की मांग करते हुए नरेश पारस ने बताया कि इस तालाब के बीच 1592 ई. में बना हुआ एक दो मंजिला अष्टभुजाकार भवन है जिस पर गुम्बद बना हुआ है।बुढ़िया के ताल में बने स्तूप के चारों ओर पानी का संचय करके इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। यहाँ प्राचीन ऐतिहासिक अष्टभुजाकार भवन तक पहुचने के लिए 21 मेहराबों पर बना एक पक्का पुल है। तालाब के पास 5 पक्के घाटों के अवशेष भी मिले है। इस स्थान को अकबर के दरबारी ख्वाजा एत्माद्खान का निवास बताया जाता है। पास ही में उसका एक मंजिली मकबरा भी बना हुआ है। यहां तालाब के तल में खुदाई में अनेक बौद्धकालीन मुर्तियां व संरचनायें
भी प्राप्त हुई हैं । प्रारम्भ में इसका बोधि ताल का नाम था। बाद में विगड़कर बुढ़िया का ताल हो गया ।यह बौद्ध धर्म का प्रतीक है। लोगों का मानना है कि किसी समय में यहां भगवान बौद्ध आये थे। बुढ़िया के ताल में बौद्ध धर्म के अवशेष मिलते हैं। यह इन्हीं विरासतों का एक हिस्सा है। इसके संरक्षण की जरूरत है। यहां सिंगाड़े की खेती तथा आम जामुन आदि के फसलों की नीलामी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की जाती है। वर्तमान समय में यह स्मारक चारो ओर से घिरता चला आ रहा है। अनेक अवैध निर्माण तथा पूजा स्थल इसको घेरने के उद्देश्य से किये जा रहे हैं। बुढ़िया का ताल प्रायः सूख जाया करता है। इस कारण आस पास के गांवों में जल का स्तर नीचे चला गया है। इन गांवों में गिरते जलस्तर व दूषित पानी का एक मात्र कारण बुढ़िया ताल का सूख जाना है।