आगरा - अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में हर इंसान के लिए स्वच्छ जल और प्रदूषण-शून्य वायु की मांग उठायी गयी. वक्ताओं ने कहा प्रकृति ने सबको जल और वायु स्वच्छ और मुफ्त दी है। किसी को हक़ नहीं कि प्रदूषण का स्तर बढाकर आम आदमी की पहुँच से दूर शुद्ध जल और वायु को किया जाए।
वक्ताओं ने पुलिस तंत्र द्वारा निरंतर मानव अधिकारों के हनन पर चिंता व्यक्त की। वरिष्ठ पत्रकार ब्रज खंडेलवाल ने कहा कि लम्बे समय से ठन्डे बस्ते में पड़े पुलिस रिफॉर्म्स को लागू किया जाए ताकि पुलिस आम आदमी की दोस्त और रक्षक बने न की सत्तानशीं, दबंगों द्वारा दमन और शोषण का हथियार।शिवम भट्टनागर ने कहा कि आज महिलाओं एवं बच्चियों के साथ अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस का आरंभ संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसम्बर 1948 को किया। इस संस्था के गठन का उद्देश्य यह था कि मानवाधिकारों को सुरक्षित एवं सुनिश्चित किया जाए। इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। ऋषभ बंसल ने कहा कि हमें सामान्य जागरूकता फैलानी चाहिए। राजीव कुमार ने कहा कि अच्छे समाज के लिए हमें अपने अधिकारों के साथ ही अपने उत्तरदायित्वों का भी पालन करना चाहिए। अमित मिश्रा ने कहा कि हमें पहले स्वयं मानवाधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा और लोगों भी जागरूक करना चाहिए। आकांक्षा अग्रवाल ने कहा कि 12 अक्तूबर 1993 को हमारे देश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया था और गरीबों को अपने अधिकारों की जानकारी दी जाए। तरुण ने कहा कि 10 दिसम्बर ही नहीं अपितु प्रत्येक दिन मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। मोहन सिंह ने कहा कि सरकार को मानवाधिकारों के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता कार्यक्रम चलाने चाहिए। जितेन्द्र ने कहा कि आम आदमी को उसके अधिकारों के बारे में बताया जाना चाहिए क्योंकि गरीब को पता ही नहीं है उसके अधिकार क्या हैं।
कार्यक्रम का सञ्चालन मोहन सिंह ने किया।गोष्ठी में भाग लिया आकांक्षा अग्रवाल, तरुण शर्मा, शिवम् भटनागर, अमित मिश्रा, ऋषभ बंसल, जीतेन्द्र रावत ने. धन्यवाद ज्ञापन दिया राजीव कुमार ने।
अंत में, इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार श्री बृज खंडेलवाल ने कहा कि पूरी दुनिया में मानवाधिकारों के संबंध में अनेक प्रदर्शन, धरने इत्यादि आयोजित हुए। इसके बाद ही मानवाधिकार से संबंधित कुछ संस्थाएं अस्तित्व में आयीं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में सबसे अधिक मानवाधिकारों का उल्लंघन हमारे देश की पुलिस द्वारा किया जाता है। पुलिस आज भी अंग्रेजों के बनाए हुए नियमों यथा भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के अनुसार ही कार्य रही है। संगोष्ठी में बोलते हुए उन्होंने कहा कि कुछ चीजों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए जैसे पुलिस की कार्य प्रणाली एवं बोलचाल–व्यवहार के संबंध में आमूल-चूल परिवर्तन किया जाना अपेक्षित है। सरकार को हमें मूलभूत अधिकारों यथा जीने के अधिकार को सुनिश्चित करते हुए पर्यावरण को शुद्ध करने हेतु उचित उपाय करने चाहिए ताकि हर नागरिक को शुद्ध जल एवं शुद्ध वायु मिल सके। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हमारे देश में आज सबसे अधिक अपराध बच्चों, महिलाओं एवं वृद्धों के साथ हो रहे हैं। कुछ दिनों में महिलाओं/बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके साथ ही, बुढ़ापे में जब मॉं बाप बूढ़े हो जाते हैं तो उनके लड़के या लड़कियां उन्हें वृद्धाश्रम अथवा किसी अस्पताल अथवा किसी मेल अथवा किसी रेलवे स्टेशन इत्यादि पर छोड़कर चले जाते हैं जिससे उन्हें मानसिक एवं शारीरिक दोनों प्रकार के कष्ट होते हैं। सम्मान के साथ जीने का अधिकार तो संविधान का मूल अधिकार है। सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।