आगरा। सिविल सोसायटी आगरा महानगर की आधारभूत जरूरत सिविल एयरपोर्ट, एयरटर्मिनल को धनौली में बनाये जाने की मांग को लेकर आने वाले वर्षों में अपने प्रयासों को और तेज करेगी।श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पूर्व आगरा के मतदाताओं से सत्ता में आने से पूर्व 2013 में कोठी मीना बाजार के मैदान में हुई पार्टी की चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सत्ता में आने के बाद आगरा में इंटरनेशनल सिविल एयरपोर्ट बनाये जाने का वायदा किया था। किन्तु पी एम बनने के पांचवें वर्ष में , जनवरी 2019 को कोठी मीना बाजार के मैदान में ही हुई आम सभा में उन्होंने वायदे को एक दम नजर अंदाज कर दिया।
सिविल सोसायटी को आश्चर्य है कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाना तो दूर जो सिविल एयर टर्मिनल बहुजन समाज पार्टी की सरकार के समय 2012 में प्रस्तावित हुआ था उसका नाम जरूर प्रदेश की योगी सरकार ने राष्ट्रीय नेता और अपनी पार्टी आदर्श स्व. पं. दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर जरूर रख दिया
किन्तु इसके लिये जरूरी जमीन का इंतजाम करने तक को लेकर उदासीनता दर्शायी।जनमानस के समक्ष यह जानकारी लाना जरूरी समझते हैं कि पं दीन दयाल उपाध्याय सिविल एयरपोर्ट धनौली में बनाये जाने का प्रोजेक्ट अब अगर भाजपा चाहे भी तो भी उसे ज्यादा समय रोक नहीं पायेगी। लगभग 1.50 अरब रुपया कर दाताओं का इसमें लग चुका है।यही नहीं सुरक्षात्मक कारणों से वायुसेना भी मौजूदा सिविल एन्कलेव को एयरफोर्स स्टेशन खेरिया के परिसर से निकाल बाहर करना चाहती है।
-- वायुसेना परिसर में ही क्यों हवाई अडडा संचालन
तमाम क्लासीफाइड श्रेणी में आ सकने वाली जानकारियों को सिविल सोसायटी आगरा व्यापक राष्ट्रीय हित में नागरिकों के समक्ष सार्वजनिक नहीं करना चाहती है किन्तु इतना जरूर राजनीतिज्ञों और सामाजिक क्षेत्र के अगुआओं से अपेक्षा करती है कि उ प्र सरकार और भारत सरकार सिविल एन्कलेव को वायुसेना के उस परिसर में ही क्यों जारी रखना चाहती है जिसमें 'एयर टू एयर रिफ्यूलर ' और 'अवाक्स फिटेड ' जैसे सैंस्टिव एयरक्राफ्टों के स्टैटिक फार्मेशंस हैं।
--रक्षामंत्री क्या अनभिज्ञ हैं एयरफोर्स स्टेशन आगरा की समस्या से
राफेल की खरीद पर संसद में अपनी सरकार के पक्ष को दमदारी के साथ रखने वाली सुश्री सीता रमण क्या इस तथ्य से अनभिज्ञ है पाकिस्तान के द्वारा आगरा के खेरिया एयरपोर्ट को अपने लिये सबसे बडी चुनौती माना हुआ है । 1971 के एतिहासिक युद्ध में भी पाकिस्तान ने अपनी भारत विरोधी युद्धनीति के तहत आप्रेशन 'चंगेज खां ' के तहत सबसे महत्वपूर्ण निशानों में एयर फोर्स स्टेशन आगरा भी शामिल था, उसने यहां बम्ब गिराने का प्रयास किया था ।
इसकी सुरक्षा को छेद न लगे इसके लिये वायुसेना के योद्धाओं को शांतिकाल में भी अभूतपूर्व चुनौतियों का समाना करना पडता है।एयफोर्स स्टेशन के परिसर में सिविल एन्कलेव का होना इसकी एक बडी वजह है। रक्षामंत्री के रूप में प्रख्यात नेता श्री जार्ज फर्नाडीज ने एयर फोर्स स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विस्तार से जानकारियां ली थीं तथा माना था कि सिविल एवियेशन पोर्ट को वायुसेना परिसर से बाहर किया जाना ही समस्या का उपयुकत समाधान है।बस इसी के बाद शुरू हुई थी वैकल्पिक स्थान की खोज जो कि सात साल पूर्व धनौली-बल्हेरा-और अबुआपुरा गांवों की जमीन चिन्हांकन के साथ पूरी तो हो गयी किन्तु सरकारों की राजनैतिक प्राथमिक्ताओं के कारण अब तक 'सिविल एन्कलेव' नहीं बन सका।
-- नागरिक जरूरतों से ज्यादा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये जरूरी
अब सिविल सोसायटी प्रस्तावित सिविल एन्कलेव को शीघ्र बनाये जाने की जरूरत का राष्ट्रीय सुरक्षा संबधित पक्ष न्यायालय में भी रखेगी। सोसायटी की पूर्व से इलहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन रिट में सुरक्षा सम्बन्धी