--कानूनों से नहीं जन-सदभावना से सुरक्षित है यहां की कदम बहुल हरियाली
किरावली के आस्था स्थल कदम खंडी की रमणीक सघनता ।
फोटोोअसलम सलीमी |
(राजीव सक्सेना) आगरा: फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र में अगर रूहानी सुकून के लिये शेख सलीम चिश्ती की दरगाह का परिसर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के स्थलों में से एक है तो ' कदम खंडी ' भी दिमागी शांति और आत्मिक बल प्रदान करने के स्थन के रूप में कम महत्व नहीं रखता है। वन्य क्षेत्र की बनस्पतियों से भरपूर यह क्षेत्र किरावली वासियों के लिये खास आस्था का केन्द्र है । वन संरक्षण कानून और हरियाली को बचाये रखने के लिये बनाये गये तमाम अन्य कानून भले ही हरियाली अच्छादित क्षेत्रों को संरक्षित रखने का काम सही प्रकार से नहीं कर सके हों किन्तु जाट समाज की बहुलता वाले 'चाहरवाटी' क्षेत्र का यह , उपवन
जन आस्था के कारण वर्तमान मे भी पूरी तरह से संरक्षित है तथा जनपद के उपवनों में अपने आप में एक मिसाल है।
जन आस्था के कारण वर्तमान मे भी पूरी तरह से संरक्षित है तथा जनपद के उपवनों में अपने आप में एक मिसाल है।
लगभग 65बीघा क्षेत्र में विस्तृत इस उपवन की विशेषता उसमे देसी कदमों की बहुलता होना है।
कदम खंडी उसका नाम सार्थक करने वाले कदम के पेडों की बहुलता के अलावा नीम और पीपल के पेड भी यहां भरपूर संख्या में हैं। ' किरावली - कागरौल' मार्ग पर दाहिनी ओर स्थित इकराम नगर गांव में स्थित इस उपवन तक चक रोड से होकर सहजता के साथ कार से भी पहुंचा जा सकता है। यानि मानव स्वास्थ्य के अनुकूल प्रकृति का भरपूर खजाना इस उपवन को माना जा सकता है।
हालांकि हर मौसम में यहां की हरियाली और रमणीकता सुकून देती है किन्तु सावन और भादौं की बात कुछ और निराली होती है। तब हवा का हर झोंका फेंफडों को शुद्ध सुवासित और वह भी आक्सीजन से भरपूर आपके फेंफडों तक पुहुंचता है ।सामान्य तौर पर रात को पेड कार्बन डाई अक्साइड देते हैं किन्तु यहा लगे पीपल एवं देसी कदम उन पेडों में हैं जो कि रात्रि में भी अक्सीजन ही उत्सर्जित करते हैं।
यहां एक धर्मशाला भी है, जो कि इस उपवन का अभिन्न भाग है। अध्यात्मिक ज्ञानियों की मौजदगी यहां अनवरत बनी रहती है। किन्तु आने जाने वालों के प्रति वे दखल नहीं रखते । स्वयं सेवी भाव से अपनी जरूरत के अनुसार खटिया लेकर आराम फर्माया जा सकता है या परिसर में चौकीनुमा बिछी हुई पटियाओं बैठ कर बतिया सकते हैं।महिलाओं का आना जाना यहां की हमेशा से बनी हुई एक स्वस्थ्य परंपरा रही है। धर्मशाला का जब तब गांवों में आने वाली बारातों के लिये यहां का उपयोग जनवासे के लिये होता रहा है। इसके अलावा चाहरवाटी,अकोला और किरावली की अहम पंचायतें भी यहां होती रही हैं। जनपद के जनजीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले कई महत्वपूर्ण फैसले भी यहां हुई पंचायतों में लिये गये।
पूर्व आई ए एस अधिकारी एवं फिजी में भारत के हाईमिश्नर रहे कैप्टिन भगवान का कदम खंडी से खास लगाव था, उनका गांव जैंगारा यहां से बिल्कुल लगा हुआ है। ग्राम्य स्तर की राजस्व इकाईयों के पुनर्गठन के पूर्व कदम खंडी जैंगारा ग्राम सभा का ही भाग थी। बताते हैं कि कैप्टिन साहब को बनखंडी की हरियाली क्षेत्र और उसके कदम के पेडों की चिता हमेश रही।कदमों के पेडों से उनके लगाव का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में बसंत कुंज स्थित अपने निवास के सामने के कालोनी पार्क में उन्हों ने देसी कदम लगवा रखे थे जो कि बाद में 'कदम पार्क ' के रूप में वहां की पहचान हो गये।
सूर स्मारक मंडल के मंत्री भुवनेश श्रोद्धिय ने जानी कदम खंडी के संरक्षण की बारीखियां । फोटो:असलम सलीमी |
आगरा के पूर्व सांसद श्री अजय सिह का भी अपने पिता के समान ही इस कदम उपवन से खास लगाव रहा। रेल उपमंत्री ,फिजी के आयुक्त के रूप में भी व्यस्तताओं के दौर में भी श्री सिह को जब भी अवसर मिला यहां आते रहे। इस पंचायती स्थल पर जहां उनके पक्ष में तमाम पंचायतें हुई वहीं उनके विरोध में भी इसी स्थान पर स्वजातीय बंधु जब तब जुटे।यानि कदम खंडी धर्मशाला परिसर पूरी तरह से लोकतंत्रिक परंपरा के अनुरूप लोगों को आपनी बात कहने -सुनाने के लिये भरपूर अवसर प्रदान करता रहा।
--पंचायती धर्मशाला और मन्दिर
किरावली तहसील के उपलब्ध राजस्व रिकार्डों में कदम खंडी हमेशा 65 बीघा भू भाग के रूप में दर्ज रहा है। हालांकि कोसी लिखित आधिकारिक इतिहास तक पहुंच संभव नहीं हो सकी किन्तु इस उपचन की धर्मशाला और उसके पुराने मन्दिर का निर्माण तहसील के दूरा गांव के निवासी बाबा सीता राम ने ढाई सौ साल पर्व करवाया था।बाबा के द्वारा बनवाये गये पुराने मन्दिर में शिव और हनुमान स्थापित थे ,जबकि अब वहां राधा कृष्ण का एक अन्य मन्दिर भी बन चुका है।
--उपवन का तालाब
इस उपवन के बीच में तीस फुट व 18फुट के दो तालाब हुआ करते थे, इनमें से अब केवल 30फुट वाला तालाब ही रह गया है। पहले इस में पानी पहुंचने का स्त्रोत पूरे जंगल और ग्रामीण क्षेत्र का वर्षाकालीन पानी था किन्तु अब केवल तालाब में सीधे गिरने वाली वाली वर्षा की बूंदें या फिर लगाये गये सबमर्सेबिल पंप ही रह गये हैं। बताते हैं कि उपवन के इस तालाब पर उ प्र शासन की आदर्श तालाब योजना के तहत काफी पैसा खर्च कर डाला गा । योजना के तहत तालाब के तटीय भाग को ऊंचा कर पकका पाथ वे बनाने का गैर जरूरी कारनामा किया गया ।फलस्वरूप बाद में इसी पाथ वे के चक्कर में स्वभाविक बहाब से मानसून काल में जंगल का पानी पहुंचने के सभी रास्ते(नाले और ढालान) बन्द हो गये।
-- खारी नदी से हो कता है पुनजी्रवित
तालाब को फिर से पानी से साल भर भरापूरा रखा जा सकता हे किन्तु इसके लिये खारी नदी से तालाब यानि कदम खंडी तक वाटर चैनल बनाना पडेगा। इसके लिये जमीन उपलब्ध है और गांव के किसान जलस्त्रोत की व्यपक उपयोगिता को दृष्टिगत हर संभव सहयोग देने का तत्पर हैं। गांव को मिलने वाले मनरेगा के बजट से यह काम सहजता के साथ लघु सिचाई विभाग के सुपरवीजन में संभव हो सकता है1 किन्तु इसके लिये पहल करनी होगी किसी जनप्रतिनिधि को या फिर इलाके लिये जागरूक ग्रामीणों को स्वत: ही आगे आना होगा।दरअसल केवल मानसून काल और भरतपुर के चिकसाना ड्रेन के डिसचार्ज के दिनों में खारी नदी 15फुट तक ऊनती है और ऐसे में अगर वाटर चैनल बना हो तो नदी का भरपूर मात्रा में स्वत: ही बहकर पहुंच जाने लगेगा। दरअसल केवल मानसून काल और भरतपुर के चिकसाना ड्रेन के डिसचार्ज के दिनों में खारी नदी 15फुट तक ऊनती है और ऐसे में अगर वाटर चैनल बना हो तो नदी का भरपूर मात्रा में स्वत: ही बहकर तालाब तक पहुंच कर उसे जल से सरोबोर कर देगा।
--सुकून के माहौल में स्मतियां की ताजी
18अप्रैल को चुनाव फतेहपुर सीकरी लोकसभाई क्षेत्र का दौरा करने के दौरान सीनियर जर्नलिस्ट श्री भुवनेश श्रोत्रिय और प्रेस फोटोग्राफर कें रूप में अपने परंपरागत सहयोगी फोटो जर्नलिस्ट श्री असलम सलीमी के साथ कागरौल से किरावली आते हुए अचानक कदम खंडी की याद सतायी। अंतिम बार 18 साल पूर्व यहां एक पंचायत कवर करने आना हुआ था। बस फिर क्या था जा पहुंचे अपनी पुरानी यादें ताजा करने । श्री श्रोत्रिय जो कि महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था सूर स्मारक मंडल के सैकेट्री भी है का कहना हे कि इस स्थान को बृज के महत्वपूर्ण आस्था स्थलों तथा वन उपवनों की आधिकारिक सूची में शामिल किया जाना चाहिये।
--सुकून के माहौल में स्मतियां की ताजी
18अप्रैल को चुनाव फतेहपुर सीकरी लोकसभाई क्षेत्र का दौरा करने के दौरान सीनियर जर्नलिस्ट श्री भुवनेश श्रोत्रिय और प्रेस फोटोग्राफर कें रूप में अपने परंपरागत सहयोगी फोटो जर्नलिस्ट श्री असलम सलीमी के साथ कागरौल से किरावली आते हुए अचानक कदम खंडी की याद सतायी। अंतिम बार 18 साल पूर्व यहां एक पंचायत कवर करने आना हुआ था। बस फिर क्या था जा पहुंचे अपनी पुरानी यादें ताजा करने । श्री श्रोत्रिय जो कि महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था सूर स्मारक मंडल के सैकेट्री भी है का कहना हे कि इस स्थान को बृज के महत्वपूर्ण आस्था स्थलों तथा वन उपवनों की आधिकारिक सूची में शामिल किया जाना चाहिये।