--एक पूर्व सांसद का हाथी के हौदे से खींच कर उतारा जाना प्राय तय
चुनाव के बाद अब उठापटक का चलेगा मनोरंजक खेल |
आगरा: स्थानीय नेताओं को राजनीति में भले ही कुछ हांसिल न हो सका हो किन्तु जो कुछ भी किसी प्रकार से है, वह भी चुनाव परिणा आने क बाद से खिसक जाने की प्रवल संभावनाये विद्यमान हो गयी हैं।
सबसे ज्यादा आंतरिक घमासान भारतीय जनता पार्टी में मची हुई है। आगरा उत्तर के विधायक जगन प्रसाद गर्ग के निधन के बाद पार्टी के नौ विधायकों में से वर्तमान में आठ रह गये हैं , इनमें से तीन की नीद हराम हो चुकी है। एक विधायक तो खुद ही मानकर चल रहे हे कि पार्टी में उनके अच्छे दिन अब गुजर चुके। महानगर क्षेत्र के इन मामनीय का कहना है कि अगर उनके र्निवाचन क्षेत्र में आगरा लोकसभासीट के प्रत्याशिी को विधान सभा चुनाव में मिले वोटो से कम मत मिलते हैं ता उनकी परेशानी और ज्यादा बढ जायेंगी। संगठन को मजबूती देने के लिये तोपहले से ही कई अखाडे बाज 'दंड-बैठक ' पेलने में लगे हुए हैं।
भाजपा के बाद कांग्रेस में
जमकर उठापटक शुरू हो जाने की संभावना है। चुनाव परिणाम आये बिना ही पार्टी के नेतृत्व तक यह पहुचाय जा चुका है कि आगरा संसदीय सीट पर वर्करों ने पार्टी प्रत्याशी का साथ नहीं दिया। महानगर के अखाडे बाजों में से अधिकांश फतेहपुर सीकरी क्षेत्र के गांवों में पार्टी को मजबूत करते रहे।शहर के कर्मठों की इस कसरत का फतेहपुर सीकरी क्षेत्र के पार्टी प्रत्याशी श्री राज बब्बर को कोयी फायदा मिल सका हो या नहीं किन्तु आगरा क्षेत्र की से पर्टी की प्रत्याशी संगठन के हरकत में न आ पाने पर केवल झंडे ,बैनर , पोस्टरों के बूते पर ही अपना चुनावी अभियान चलाती रहीं।
समाजवादी पार्टी के पास कुछ खास करने को था ही नहीं , हाथी के पीछे चलने वाले हुल्लड में अपने झंडे सहित लगातार मौजूदगी दर्ज करवाये रहे। जहां तक फतेहपुर सीकरी सीट का सवाल है, गठबन्धन के प्रत्याशी अपनी सोची समझी रणनीति के तहत किसी की खास जरूरत ही नहीं थी।फिलहाल चुनाव परिणाम आने के साथ ही एक पूर्व सांसद को हाथी के हौदे से उतारा जाना तय है।