--सुप्रीम कोर्ट द्वारा मजीठिया बेज बोर्ड वाद छै महीने में निस्तारण का आदेश आगरा सहित यू पी में रहा
बेअसर
आगरा का उपश्रमायुक्त कार्यालय फोटो सभार :मनुराना |
आगरा: '1 मई' को ' श्रमिक दिवस ' मनाये जाने की रस्म इस वर्ष भी होगी। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि गत सितम्बर से आगरा में श्रमिकों के कल्याण के नाम पर सरकारी योजनाओं का प्रचार भले ही होता रहा हो लेकिन उपश्रमायुक्त श्रमिकों के द्वारा स्वयं अपने व अपने आधीनस्थों के समक्ष लाये गये वाद एवं नाइंसाफी के मामलों में से शायद ही किसी में कर्मचारी को राहत दिलवा सके हों।
दरअसल श्रम विभाग का काम काज मानसून के बाद से ही ठप प्राय चल रहा है।प्रकट तौर पर इसका कारण श्रमविभाग के वकीलों की हडताल चल रही
है। विभाग के गार्डन रोड स्थित कार्यालय की बिल्डिग के एक कमरे की छत का वर्षा के दौरान गिरजाना इसका कारण है। मानसून खत्म हो जाने के बाद भी श्रम विभाग में प्रेक्टिशनरों की हडताल जारी रही। वकील भले ही हडताल पर रहे हो किन्तु विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारियों के द्वारा बदस्तूर अपनी डयूटी देना जारी रहा।
है। विभाग के गार्डन रोड स्थित कार्यालय की बिल्डिग के एक कमरे की छत का वर्षा के दौरान गिरजाना इसका कारण है। मानसून खत्म हो जाने के बाद भी श्रम विभाग में प्रेक्टिशनरों की हडताल जारी रही। वकील भले ही हडताल पर रहे हो किन्तु विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारियों के द्वारा बदस्तूर अपनी डयूटी देना जारी रहा।
वर्तमान में स्थिति यह है कि श्रम विभाग के वकीलों के पक्ष में श्रम न्यायलयों में प्रोक्टिस करने वाले अधिवक्ता भी हडताल पर गये हुए हैं। श्रम विभाग में इस हडताल के कारण श्रमिक हित ओर पक्षकार सबसे अधिक प्रभावित है।
श्रम विभाग के स्थानीय अधिकारियों की, वकील हडताल और उसके कारण वाद कार्य प्रभावित होने के प्रति उदासीनता बने रहना एक बात है किन्तु मंडल प्रशासन का उपश्रमायुक्त स्तर के कार्यालय में वकील हडताल के कारण वाद कार्य प्रभावित होने को संज्ञाल में लेकर जरूरी प्रभावी कदम न उठाना एक विचारणीय मुददा है।
वस्तुस्थिति यह है कि जूता-, चमडा उत्पाद इकाईयों और होटल व टूरिज्म इंडस्ट्रीज से संबधित श्रमिकों के अपने सेवायोजकों के साथ चल रहे वादों में से अधिकांश महीनों से लम्बित ही हैं।
बनी चल रही स्थिति का आंकलन इसी से किया जा सकता है कि नोट बंदी और बाद में जी एस टी के प्रभाव से आगरा में संचालित औद्योगिक एवं अन्य श्रेत्रों के करोबारियों ने सेवायोजक के रूप में बडे पैमाने पर कार्यरत श्रमिकों की छंटनी की हुई है, इनमें से जो कांट्रैक्ट वर्कर हैं उनकी कांट्रैक्ट अवधि पूरी होजने के बाद कांट्रैक्ट रिन्यू नहीं किये हैं।
-- पत्रकार और समाचार पत्रों के सेवाकर्मी
वाद निस्तारण कार्य लगातार स्थगित रहने से पत्रकार भी प्रभावित हुए हैं। पत्रकारों के मीठिया बेज बोर्ड से संबधित और इतने ही अन्य जनपदों से संबधित मामले उप श्रमायुक्त के समक्ष विचाराधीन हैं किन्तु इनमें से अपवाद स्वरूप दो मामलों के अतरिक्त किसी का भी निस्तारण होना तो दूर ''रैफ्रैंस' करने की औपचारिकता के तहत अग्रसरित करने की कार्रवाही तक नहीं हो सकी। जो दो मामले उपश्रमायुक्त कार्यालय से लेबर कोर्ट पहुंचे हैं , उन पर भी अब तक कोयी कार्रवाही संभव नहीं हो सकी है। उल्लेखनीय है कि इन वादों पर भी इलहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के तहत नियत अवधि में कार्रवाही करनी पडी थी।
मजीठिया बेज बोर्ड संबधित पत्रकारों के वाद लड रहे श्री अवध बिहारी बाजपेयी एडवोकेट का कहना है कि मजीठिया बेज बेर्ड वादों के निस्तारण का कार्य वाकई में बेहद निराशा जनक हैं, यह स्थिति आगरा में ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश में बनी हुई है। शासन अब तक प्रदेश से प्रकाशित प्रमुख समाचार पत्रों का उनके एन्युअल टर्नओवर के हिसाब से वर्गी करण तक निर्धारित कर सका है। जबकि श्रम जीवी पत्रकार एवं अन्य कर्मचारी ( सेवा की शर्तें) और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम 1955 के तहत प्रकाशन प्रतिष्ठानों के रिकार्ड एवं कार्य स्थितियों के निरीक्षण का व्यापक अधिकार है।
श्रमजीवी पत्रकार यूनियन उ प्र की आगरा इकाई के पदाधिकारियों एवं सदस्यों की ओर से मई दिवस की पूर्व वेला में श्रम न्यायलय के पीठासीन अणिकारियों के समक्ष ज्ञापन देकर वादकारियों के हित में तुरंत प्रभावी कदम उठाकर महीनों से चल रही हडताल समाप्त करवाने की मांग की है।