उप वन संरक्षक को ' ए एफ एम ई सी ' अध्यक्ष पूरन डावर ने प्रोजैक्ट में की सहयोग की पेशकश
( राजीव सक्सेना )
सूर सरोवर पक्षी अभ्यारण्य में निकाला गया जागरूकता को जुलूस |
आगरा: सूर सरोवर पक्षी अभ्यारण्य क्षेत्र का नम क्षेत्र और अधिक विस्तितृत होगा इसके लिये नेशनल चम्बल सैंचुरी प्रोजेक्ट के उप वन संरक्षक आनंद श्रीवास्तव ने अपनी सूर सरोवर पक्षी अभ्यारण्य में सूर सरोवर के नौकाघाट पर आयोजित कार्यक्रम में सैद्धान्तिक सहमति व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जलसंरक्षण आह्वहान पर आयोजित इस आयोजन में भारत सरकार और उ प्र शासन की जलसंरक्षण नीति के तहत के लक्ष्य को व्यापक
रूप से प्रचारित करने के तहत आयोजित कार्यक्रम को सम्बेाधित कर रहे थे......आनंद श्रीवास्तव उप वन संरक्ष्क चम्बल सेंचुरी प्रोजेक्ट |
श्रीवास्तव ने कहा कि चम्बल सैचुरी की सीमा में जहां जहां भी बीहणी क्षेत्र में वर्षा कालीन जल को रोका जा सकेगा उसके लिये स्थल चिन्हित कर बांध बनवायेंगे जिससे कि जल सीधा नदी में न जाकर भूमि में समाये और मिट्टी की शुष्कता सीमित हो। जिससे हरियाली अच्छादन बढे।
उप वन संरक्ष्क ने सूर सरोवर के रैग्युलेटर के डाउन में एक जलाशय के विकसित किये जाने की संभावना को उपयुक्त बताते हुए कहा कि सरोवर के जलस्तर को 19फुट भराव स्तर तक सीमित रखने के लिये जो पानी डिस्चार्ज करना जरूरी होता है , उसे सरोवर के रैग्युलेटर (सैल्यूस गेट) के डाउन में 800मीटर लम्बे जलाशय के रूप में यमुना नदी में सीधा डिस्चार्ज होकर पहुंचने से पहले रोका जा सकता है।
यह रोका गया पानी यमुना नदी के छोर पर महज एक सैल्यूस गेट और जरूरी सपोर्टिग गेटिट स्ट्रैक्चर एक जलाशय के रूप सूर सरोवर पक्षी अभ्यारण्य की एक अतरिक्त विशिष्टता साबित होगा। पक्षियों और जलचरों दोनों के लिये यह एक सहज पहुंच वाला आश्रय स्थल साबित होगा।
नगर के प्रख्यात उद्यमी एवं जूता उत्पादकों के प्रमुख संगठन ' ए एफ एम ई सी ' के अध्यक्ष पूरन डाबर ने मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा कि लोअर लेक की संभावनाये निश्चित रूप से विद्यमान हैं, अगर सूर सरोवर प्रबंधन इसके लिये आगे आता है तो तो उनका यथा संभव सहयोग रहेगा। उन्होंने कहा कि गेटिड स्ट्रैकचार बन जाने से विकसित जलाश जचर,पक्षीयों और यमुना नदी के लिये आकस्मिक विश्वसनीय जलस्त्रोत के रूप में भी उपयोगी रहेगा। श्री डाबर की सहयोग घोषणा का उपवन संरक्षक सहित सभी उपस्थितों ने स्वागत किया।
जलाधिकार फाऊंडेशन की आगरा इकाई के अध्यक्ष डा अनुराग शर्मा ने कहा कि जलसंरक्षण की जरूरत आज हर स्तर पर महसूस की जा रही है, सूर सरोवर जलाशय का जलस्र 19 फुट बनाये रखने के लिये डिस्चार्ज किये जाते रहने वाले पानी का दशांश भी अगर जलाशय के रूप में संरक्षित किया जा सके तो एह यह यमुना नदी , सूर सरोवर पक्षी अभ्यारण्य दोनों के लिये ही उपयोगी होगा। उन्होंने जलाधिकार के द्वारा आगरा में शुरू किये हुए जलसंरक्षण कार्यक्रम के संबध में जानकारी दी। उन्होंने उपसंरक्षक को आश्वस्त किया कि जब भी चम्बल सैचुरी प्रोजेक्ट के किसी भी अभ्यारण्य को जरूरत तो फाऊंडेशन के वालंटियर आपके साथ खड़े हो जायेंगे।
फाऊंडेशन के शैलेन्द्र सिह नरवार ने कहा कि आगरा में न तो नम क्षेत्रों की कमी है और नाही उन्हे जलयुक्त किये रहने वाले स्रोतों की । बशर्त कुप्रबंधन पर नियंत्रण पाया जा सके और सरकारी तंत्र जल संरक्षण के कार्यक्रमों को महज ओपचारिकता पूरी करने वाला न मानकार 'आगरा की जरूरत' माने।
कार्यक्रम को सम्बोधित करने वालों में पत्रकार राजीव सक्सेना, जलाधिकार के जनरल सैकेट्री नितिन अग्रवाल आदि भी शामिल थे।
संगोष्ठी से पूर्व जागरूकता रैली का भी आयोजन किया गया जिसमें ' ए एफ एम ई सी '(The Agra Footwear Manufacturers and Exporters Chamber -AFMEC), एस ओ एस के वीयर सैंटर तथा एलीफेंट रैस्क्यू प्रोजेकट के वालैटियरों के अलावा सूर सरोवर ईको सैंस्टिव जोन के तहत आने वाले गांवों में ग्रामीण और ग्राम प्रधान भी शामिल थे।
शांता घाट
नेशनल चम्बल सैंचुरी प्रोजेक्ट के उप वन संरक्षक श्री आनंद श्रीवास्तव ने इस अवसर पर क्षेत्र से जुडी पौराणिक मान्यताओं को दृष्टिगत सूर सरोवर के नौका घाट का नाम शांता घाट करने पर सहमति जतायी तथा जलाधिकार फाऊंडेशन से अपेक्षा की कि वह उन्हे ऋषि ऋंग (श्रंगी ऋषि) और उनकी पत्नी शांता के सम्बन्ध में विस्तार से पौराणिक बृतांत उपलब्ध करवायें।
( सूर सरोवर और दशरथ पुत्री शांता:-- सूर सरोवर जो कि पूर्व में कीठम झील के नाम से जाना जाता है ,मूलरूप से सींगना गांव का अभिन्न भाग रहा है। यमुना नदी के ऊानसे यह सरोवर प्राकृतिक रूप से जलयुक्त हो जाया करता था। 1875 में नेवीगेशन चैनल के रूप में आगरा कैनाल के बनजाने के बाद इसे नहर के ओवर फ्लो को डिसचाज्र करने के लिये सरोवर के मूल ढांचे में बदलाव कर यमुना नदी में सीधे पहुंचने वाले डिस्चार्ज को को रैग्यूलेट करने के लिये गेट लगाकर इसके प्राकृतिक स्वरूप में बदलाव किया गया।तब से यह मत्सय उत्पाद के आदर्श केन्द्र के रूप में उत्य विभाग तथा सिचाई विभाग के आदर्श केन्द्र के रूप में पहचाना जाता रहा। इसको सूर संरक्षित वनक्षेत्र के रूप मे विशिष्ट पहचाने देने का काम पूर्व प्रधानमंत्री स्व चौधरी चरण सिह ने प्रदेश के वन मंत्री के रूप में किया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यमुना के उफान से बनने वाले सरोवर में विभंडक ऋषि स्नान करते थे,जो कि यहीं के सघन वन क्षेत्र में तपस्याकरते थे और रहा करत थे।
देव अप्सरा मैनका ने हिरणी का स्वरूप कर यमुना तटीय सरोवर में उसी समय नान कियाजबकि ऋषिवर वर स्नान कर रहे थे ।नियति के विधान अनुसार मेनका गर्भवती हुई और उसने एक ऐसे शिशु को जन्म दिया )
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यमुना के उफान से बनने वाले सरोवर में विभंडक ऋषि स्नान करते थे,जो कि यहीं के सघन वन क्षेत्र में तपस्याकरते थे और रहा करत थे।
देव अप्सरा मैनका ने हिरणी का स्वरूप कर यमुना तटीय सरोवर में उसी समय नान कियाजबकि ऋषिवर वर स्नान कर रहे थे ।नियति के विधान अनुसार मेनका गर्भवती हुई और उसने एक ऐसे शिशु को जन्म दिया )