10 दिसंबर 2020

आगरा के डा वी आर अम्‍बेडकर वि वि कर्मियों के जी पी एफ पर स्‍थिति स्‍पष्‍ट की जाये

--नयीशिक्षा नीति में भी स्‍वयायत्‍तशासी संस्‍थाओं को स्‍वच्‍छाचारी होने की गुजायिश नहीं 

आगरा:डा भीमराव अम्‍बेडकर विश्‍विद्यालय की सेवा प्रदाता के रूप में भूमिका को लेकर  खडे हुय संशयों का कोयी समाधान नहीं निकल सका है। वि वि के कर्मचारियों का कुछ वर्ष पूर्व तक मजबूत संगठन हुआ करता था किन्‍तु हाल के कुछ वर्षों में हालात बदल चुके हैं। अब वि वि कर्मचारी और शैक्षणिक कार्य करने वाले अपनी जायज मागे लेकर भी वि वि प्रशासन के पास जाने से बचना चाहते हैं। 

दरअसल वि वि के काम काज को लेकर तमाम शिकायतें व जांचें हैं । तमाम एसे फैसले पूर्व के हैं जिनसे तमाम वि वि कर्मी लाभान्‍वित हैं । इस लिये वे नहीं चाहते कि नाम आने भर से उनके समक्ष दिककतें बढ जायें। श्री देवेन्‍द्र कुमार त्रिपाठी एडवोकेट ने कहा है कि यह सही है कि जीपीएफ का धन कर्मचारियों के वेतन से

ही कटता जरूर है किन्‍तु, इससे जुडे हित लाभ कर्मचारियों के परिवारों से जुडे हुए हैं। इस लिये कर्मचारियों की सक्रियता से कही अधिक नैतिक एवं विधिक जिम्‍मेदारी वि वि प्रशासन की है। ऐसे प्रकरण में मामले को लटकाये बिना तत्‍परता के साथ विधिक उपचार अपेक्षित है।

सिविल सोसायटी अगरा के अध्‍यक्ष डा शिरोमणी सिह ने कहा है कि वि वि परिसर के आसपास के क्षेत्रों से चुना हुआ पारिषद होने के कारण वि वि कर्मियों के परिवरों की पीडा और भविष्‍य को लेकर इनमें बनी रहने वाली बेचैनी नागरिकों का प्रतिनिधित्‍व करने वाले किसी भी व्‍यक्‍ति के लिये गंभीर मुद्दा है। मेरी अपेक्षा है कि वि वि के कुलपति जनआशंकाओं का निराकरण कर इस सम्‍बन्‍ध में  आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक रूप से देंगे। उन्‍हों ने कहा है कि  शानादेशों के तहत वि वि के  स्‍वीकृत पदो पर कार्यरत सेवा कर्मियों का शासकीय प्राविधानों के तहत  जी पी एफ ( general provident fund ) कटता है और यह काटी गयी राशि  सरकार के ' जीपीएफ'  खाते में जमा होती है या कोयी अन्‍य विधि सम्‍मत वैकल्‍पिक व्‍यवस्‍था बनायी गयी है और वह अधिक लाभकारी भी है या नहीं। कम से कम अब तक यह स्‍पष्‍ट नहीं है।

सिविल सोसायटी आगराके जर्नल सैकेट्री श्री अनिल शर्मा ने कहा है कि  ने कहा है शिक्षक एवं शिक्षणेत्‍तर  सेवारतों के हितों को दृष्‍टिगत सोसायटी अपने स्‍तर से वाकायदा प्रेस कांफ्रंस कर  यह मामला उठाचुकी है। उम्‍मीद थी कि इस संबध में आधिकारिक रूप से वि वि प्रशासन जानकारी देगा किन्‍तु संशय बरकारा है। वि वि स्‍वायत्‍तशासी होते हैं किन्‍तु नयी शिक्षा नीति में भी उनके संचालकों को स्‍वच्‍छाचारी होने का अधिकार नहीं है। उन्‍हों ने कहा कि  डिग्रियों को लेकर पहले से ही वि वि के छात्रों में व्‍याप्‍त संशय की स्‍थति दूर नहीं हो सकी है ,अब कर्मचारियों के जी पी एफ के निवेश को लेकर सटीक जानकारी की अनिश्‍चित्‍ता है। उन्‍होंने कहा है कि वह चाहेंगे कि वि वि प्रशासन जी पी एफ के निवेश की जानकारी लोकहित में सार्वजिक करे।