--डा भीम राव अम्बेडकर वि वि गालिब पीठ खोलने की कोशिश करेगा
हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान अभिन्न भाग है मिर्जा गालिब:राजीव पाल |
आगरा: प्रख्यात शायर मिर्जा असद उल्ला खां गालिब'मिर्जा गालिब' को उनकी 223 वीं जयंती के अवसर पर आगरा वालों ने अपने परंपरागत अंदाज में याद किया। पूर्व केन्द्रीय श्रम एवं समाज कल्याण राज्य मंत्री रामजी लाल सुमन ने गालिब के प्रति जनरुझान को बने रहने को उनके कृतित्व की उत्कृष्टता का परिचायक बताया। उन्होंने कहा कि गालिब जितने पुराने होते जा रहे हैं उतने ही नये भी।
श्री सुमन जो कि 'ग्रांड होटल' में साहित्य संगीत संगम के सहयोग से आयोजित 'बज्म ए गालिब' के 24 वें आयोजन को सम्बोधित कररहे थे ने कहा कि गालिब आगरा के थे ,लेकिन इसके बावजूद यहां अब तक उनके लिये वह नहीं हो सका जिसकी अपेक्षा की जाती रही है। उन्होंने अपने उदबोधन के दौरान कई शायरियों को भी उद्धृत किया।
डा भीम राव अम्बेडकर वि वि के उपकुलपति प्रो अशोक मित्तल ने कहा कि वह कोशिश करेंगे कि मिर्जा गालिब की कोई पीठ स्थापित हो और यहां एक सेंटर बने जहां कि इस प्रकार की चर्चाये और कार्यक्रम
आयोजित हों।
'गालिब के लिये आगरा में कुछ करने की तमना' फोटो:असलम सलीमी |
एक रेशमी अहसास है गालिब की शायरी
कार्यक्रम का दूसरा सत्र गालिब की लोकप्रिय गजलो की प्रस्तुति को समर्पित रहा। प्रख्यात गजल गायक सुधीर नारायन के द्वारा 'आह को चाहिये एक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक' काफी प्रशंसित रही। कृतिका ने ' नुक्ता ची हैं गम ए दिल उसको सुनाये' , 'ना बने ,क्या बने बात जहां बात न बने,क्या बने बात बनाये न बने', सुभाष सक्सेना ने 'दुश्वार है हर काम का आसां होना ', शिल्पी शर्मा ने 'हर एक बात पर कहता हो कि तू क्या है','तुम ही कहो कि यह अंदाजे गुफ्तगूं क्या है ' आदि प्रस्तुत कीं। तबले पर राज मैसी ,पैड पर भीम सैन, और की बोर्ड पर पंकज वर्मा ने साथ दिया।कार्यक्रम की मीडिया पार्टनर आवाज कमयूनिटी रेडिया की डायरैक्टर डॉ अर्चना सिह,पूजा सक्सेना, कर्नल खान, डा प्रदीप श्रीवास्तव, रमेश आनन्द,सुधीर शर्मा, डा असीम आनन्द डा अशोक बिज, श्री कृष्ण ,मोहित कुमार, विशाल रियाज, आदि इस अवसर पर मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन सुशील सरित ने किया जबकि श्री अरुण डंग ने आभार व्यक्त किया।