--पशुओं के प्रति क्रूरता रोकने को जनजागरूकता में लगीं थीं कृष्णा जी
सुश्री कृष्णा बल्ला |
सुश्री बल्ला अपने समय के प्रख्यात गांधीवादी एवं आगरा के पहले सत्याग्रही स्व बालमुकुंद बल्ला की पुत्री थीं। जीवन पर्यंत खादी पहनती रहीं।वह कई गोसेवा संगठनों से जुडी हुई थीं। दयालबाग में एक गौशाला का संचालन वे स्वयं करवाती थीं। हमेशा एक एक आनापाई का हिसाब वह देती थीं। कोरोना काल में भी उन्हों ने इस परंपरा को जारी
रखा।पिछले दस साल से गौ वंश के संरक्षण तथा पशुओं के प्रति क्रूरता की बढती प्रवृत्ति के विरुद्ध जनजागरूकता के लिये सक्रिय थीं। वह जनपद स्तरीय पशुक्रूरता कमेटी की अध्यक्ष भी थीं।गोशाला संचालन के अलावा स्ट्रीट चिल्ड्रन के लिये गधा पाडा में अपने निवास रामहरि आश्रम में एक स्कूल का संचालन भी करती थीं।
शांति पाठ और हवन के साथ शुरू होते थे कृष्णा जी के अभियान। |
सुश्री बल्ला के भाई समाज सेवी रमन ने बताया कि उन्हें लगता था कि इलाज के बाद वह शीघ ही स्वस्थ्य हो जायेंगी, लेकिन शारीरिक कमजोरी और अक्सीजन के लेविल में अक्सर हो जाने वाली कमी से उबर नहीं सकीं।
स्वाभिमान और परमार्थ को समर्पित जिंदगी का सफर उनके द्वारा पूरा कर लिये जाने की सूचना मिलते ही बडी संख्या में लोगों के द्वारा फोन और डिजिटल माध्यम से उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने किये गये।
आभार अभिव्यक्ति
समाज सेवी रमन ने उन सभी महानुभावों का अभार ताया है जो कि इस शोक की घडी में उनके परिवार के साथ खडे हैं। उन्होंने कहा है कि मेरी छोटी बहन कुमारी कृष्णा बल्ला , अध्यक्ष, SPCA (पशु क्रूरता निवारण समिति,)आगरा के स्वर्गवास की कठिन घड़ी में परिवार के साथ खडे सभी सहृदयी स्व जनों द्वारा शोक संवेदनाएं व सांत्वना दी हैं,मैं अपने परिवार की ओर से सभी का आभार व्यक्त करता हुं।