8 जून 2021

'कू' सोशल नेट वर्किंग सर्विस साइट के हुए चालीस लाख यूजर

 --भारत के सरकारी कम्‍यूनिकेशन में इसे सहभागी बनाया जाये:सचदेवा

                                                 (फइल फोटो)

  पिछले  कुछ  दिनों   से चल रहे  साइबर  कम्‍यूनिकेशन  माध्‍यमों को लेकर शुरू हुए    कानूनी विवादों के  बीच  ‘कू’ (koo)एप्प काफी भी काफी सुर्खियों  में रहा है । इस दौर में कू को लगभग चालीस लाख लोगों के सोशल नेट वर्किंग सर्विस साइट के यूजर के रूप में  इसे      अपनाया गया।    कई भारतीय  राजनेताओं,  खिलाड़ियों    और अभिनेताओं ने  भी कू एप्प   ज्वाइन को ज्‍वाइन किया। अब तक वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल, विधि व  आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद, ,भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्य, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, ईशा फाउंडेशन के जग्गी वासुदेव, पूर्व क्रिकेटर जावागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले जैसे दिग्गज इस सोशल प्‍लेटफार्म को अपनाने वालों में शामिल हो चुके हैं। कई विवादों के कारण चर्चित रहीं एक प्रख्‍यात वालीवुड अभिनेत्रों तो 'कू' की ब्रांड एम्‍बेस्‍डर बनने तक को स्‍वप्रेरित हैं।कामर्शियल मामला है ,इस लिये इसे अमली जामा पहनाने में शायद कुछ वक्‍त लगे। 

 ' कू ' (koo) सोशल नेट वर्किंग सर्विस साइट है। इसका उपयोग बहुभाषा  में संभव है, इस लिये बहुभाषी भारतीयों के लिये सर्वथा उपयोगी साबित हुई है और दो साल से भी कम अवधि में इसके उपयोग कर्त्‍तओं की संख्‍या चालीस लाख से अधिक हो चुकी है। कू का मुख्‍यालय बंगलूर में है ,जहां कि इसे 15महीने पूर्व 1मार्च 2020 को शुरू किया गया था।

पूर्व में इसे  कु-कू-कु (ku-koo-ku) के नाम से जाना जाता था, यह ऐप मूल रूप से अप्रमी राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका द्वारा विकसित किया गया है। 

इसे सबसे पहले कन्नड में लॉन्च किया गया था , जबकि बाद में यह हिन्दी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु और मराठी भाषा  के लिये भी उपयुक्‍त हो गयी।  आने वाले वक्‍त में इसको  असमिया, बंगाली, गुजराती, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मेइती, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत और उर्दू भाषा के लिये भी उपयोग की जा सकेगी । 'कू' के  निवेशकों में शुनेवेई कैपिटल, कलारी कैपिटल, 3one4 कैपिटल और ब्लम वेंचर्स आदि  शामिल हैं।

चीन  कंपनी से बाहर किय अब पूर्ण इंडियान र्स्‍टाअप

  शुनवेई कैपिटल ने मार्च 2021 तक अपनी पूरी हिस्सेदारी कू की मूल संस्‍थापक  मूल कंपनी 'बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ' में बेच दी।जैसा कि निवेश क्षेत्र में चीनी निवेश की 2020 से पूर्व तक भारतीय कंपनियां सहज स्‍वीकार कर लेती थीं।' कू '  में भी  चीनी ' कंपनी शुनवेई कैपिटल '  की भी हिस्‍सेदारी थी।लेकिन अब यह  कू की मूल कंपनी बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा वापस खरीद ली गयी। सही तथ्‍यात्‍मक जानकारी तो कू की वैलैंस शीट से ही मालूम पड सकेगी किन्‍तु फिहाल कू के सीईओ और को-फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्ण का तो यही दावा है। उनका कहना है कि चीन के रूख के बाद भारत सरकार की नीति के अनुरूप उनका यह फैसला है।अब तक चीनी कंपनी के ज्‍यादातर शेयर खरीदे जा चुके हैं।कंपनी के द्वारा दी जा रही जानकारी के अनुसार श्रीनाथ, बुकमाईशो के फाउंडर आशीष हेमराजानी, उड़ान के को-फाउंडर सुजीत कुमार, फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति और जीरोधा के फाउंडर निखिल कामत सहित कई प्रमुख भारतीयों ने शुनवेई कैपिटल की हिस्‍सेदारी खरीदने में सक्रिय भूमिका अदा की।वैसे किये गये दावों के अनुसार श्री राधाकृष्ण के अनुसार चीनी कंपनी अब शुनवेई कैपिटल मूल कंपनी बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज से पूरी तरह अलग हो गई है।’’

'कू' का लोगो


'कू'  का लोगो पीली चिडिया है ,जिसे कि सोने की चिडिया की चिडिया के रूप में प्रचार मिला है। कू संचालकों और प्रमोटरों का इसके पीछे क्‍या सोच है ,यह तो वहीं जाने किन्‍त एक समय में भारत धन-धान्‍य से भरपूर था और यहां व्‍यापार करने आने वाले खासकर उपनिवेश वादी इसे याहं की संपन्‍नता के कारण 'सोने की चिडिया ' भी  कहते थे।वैसे भारत में लाल सुनहरे की एक चिडिया मिलती है जिसे कि सोन चिडिया (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ) भी कहते हैं।जो भी हो 'कू' के लोगों की पीली चिडिया आम भारतीय को अपने घोंसले के लिये मशहूर 'बया ' के समरूप जानी पहचानी सी ही लगती है। 

नाईजीरिया में मिला अवसर

राष्‍ट्रपति का ट्यूटर एकाऊंट अनमार्क करते ही नाईजिरीय सरकार ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर (Twitter)  को अनिश्चित काल के लिए बैन कर दिया है। दरअसल  ट्यूटर ने नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहम्मदु बुहारी का एक ट्वीट डिलीट कर दिया था जिसके बाद यहां की सरकार ने ट्विटर के इस्तेमाल पर शुक्रवार से रोक लगा दी है। कू को भारतीय सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म मानकर अपने कार्यविस्‍तार की अनुमति है ।  सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण कू (KOO) का अनुभव अच्‍छा रहा वह नाइजीरिया में यूजर्स के लिए नई स्थानीय भाषाएं जोड़ने का भी इच्छुक है।

सरकारी संपर्क माध्‍यम के रूप में उपयोग शुरू हो

‘कू’ (koo) ह्यूमन ड्यूटीज फाऊंडेशन(H.D.F.) के चेयरमैन श्री आर के सचदेवा का मानना है कि जब कई मंत्री और सैलेब्रिटी कू को अपना चुके है और यह भारतीय कानूनों को मानने के प्रति प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त कर चुका है ,तब इसे भारत में संघ सरकार तथा राज्‍य सरकारों को अपने आधिकारिक संपर्क माध्‍यम (साइबर कम्‍यूनिकेशन )के रूप में अपनाने में कोयी संकोच नहीं होना चाहिये। 'कू' की संचालक कंपनी 'बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ' के संचालकों की व्‍यवसायिक क्षमता से लगता है कि आनेवाले कुछ ही दिनों में यह भारत ही नहीं कुई देशों में सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म या सरकारों के आधिकारिक जन संपर्कमाध्‍यम में पैंठ बना लेगा। 

द.पू.एशियाई देशों में भी व्‍यापक संभावनायें

फिलहाल एकदम तो कोयी करिश्‍मा होने की संभावना नहीं है किन्‍तु अगर 'कू' ने अपने नाईजिरिया में शुरू किये गये प्रदर्शन में वहां की साईबर कम्‍यूनिकेशन प्‍लेटफार्म की जरूरत को पूरा करने में अपनी उपयोगिता साबित की तो कई अन्‍य अफ्रीकी देशों के दरबाजे उसके लिये खुल जायेंगे। जहां तक दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का सवाल है, उनमें रहने वाले भारतीय मूल के तेलगू,मलियाली और तमिल भाषा भाषियों में इसके प्रति आकर्षण स्‍वभाविक है।