नई दिल्ली - टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एन. के. अरोड़ा ने बताया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान गर्भवती महिलाओं की मृत्युदर में वृद्धि के कारण टीकाकरण करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा, 'दूसरी लहर के दौरान यह देखा गया कि कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं की मृत्युदर में पहली लहर की तुलना में दो से तीन गुना वृद्धि हुई है। ऐसी स्थिति में, यह महसूस किया गया कि गर्भवती महिलाओं को भी कोविड-19 वैक्सीन का टीका लगना चाहिए। गर्भवती महिलाओं के मामले में, दो जिंदगियों की सुरक्षा शामिल है - मां और उसके गर्भ में पल रह शिशु। इसीलिए, देश ने गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करने का फैसला किया है।'
उन्होंने कहा कि इस टीके से माताओं को अधिक लाभ होगा। वे कोरोनावायरस संबंधी चिंता और डर से मुक्त रहेंगी। उन्होंने कहा, 'गर्भवती मां के टीकाकरण से मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी बचाया जा सकता है। अगर मां के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है तो यह बच्चे में भी चली जाएगी। वैक्सीन और मां के शरीर में विकसित रोग प्रतिरोधक क्षमता का असर बच्चे में कम से कम जन्म के समय तक बना रहेगा।'