--सुप्रीम कोर्ट रोड सेफ्टी कमेटी के समक्ष उठेंगी खामियां
दसजनपदों से संग्रहित करनी होगी जानकारियां
श्री जैन ने सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दिये आवेदन पत्र में यूपीडा से इस एक्सप्रेसवे पर हुये सड़क हादसों, उनमें मृत्यु व घायलों के बारे में पूछा था। यह खुलासा वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन को दिनांक 05 अप्रैल 2023 को दी गयी सूचना में हुआ है। यूपीडा इस बात से भी अनजान है कि इस एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के कारण कितने चालान हुये हैं।
चालानों के बारे में पूछने पर भी उनका उत्तर है कि यह एक्सप्रेसवे 10 जनपदों की सीमा से गुजरने के कारण टैªफिक नियमों के उल्लंघन आदि के सम्बन्ध में कार्यवाही सम्बन्धित जनपद की पुलिस व एआरटीओ आदि विभाग के स्तर से की जाती है और उसकी सूचना सम्बन्धित जनपद से प्राप्त की जा सकती है। जहां तक इस एक्सप्रेसवे पर निगरानी हेतु लगे हुए कैमरों की बात है तो इस एक्सप्रेसवे पर 50 पी0टी0जेड0 कैमरे लगे हुए बताए गए।
एम्बुलैंस उपयोग तक की जानकारी नहीं
यूपीडा को यह भी नहीं मालूम है कि आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सड़क हादसों के लिए वर्ष वार एम्बूलेन्स कितनी बार गयी। इस सम्बन्ध में पूछी गयी सूचना का उत्तर इस प्रकार देते हैं कि इस एक्सप्रेसवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में घायलों को नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुुंचाने के लिए 10 एम्बूलेन्स कार्यरत हैं और आवश्यकतानुसार और यूजर्स के अनुरोध पर उन्हें 108 एम्बूलेन्स की सहायता भी उपलब्ध करायी जाती है। ऐसी स्थिति में एक्सप्रेसवे पर हुयी दुर्घटनाओं के सम्बन्ध में सूचना सम्बन्धित जनपद से प्राप्त की जा सकती है अर्थात् यूपीडा के पास कोई सूचना नहीं है कि सड़क हादसों के लिए एम्बूलेन्स कहां और कितनी बार गयी। यद्यपि वह अपने उत्तर में यह भी कहते हैं कि 5 एम्बूलेन्स यूपीडा की और 5 एम्बूलेन्स टोल कलैक्शन एजेन्सी द्वारा दी गयी हैं। एम्बूलेन्स तो दी गयी हैं लेकिन उनका उपयोग कब और कैसे हुआ इसकी जानकारी न तो टोल कलैक्शन एजेन्सी मै0 वान इन्फ्रा लि0 को है और न ही यूपीडा को ही है।
सडक सुरक्षा स्टैटिक्स को लेकर यूपीडा में बेहद खामी
यूपीडा द्वारा दी गयी सूचना की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अधिवक्ता जैन ने कहा कि यह आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे महत्वपूर्ण मार्ग है जो सड़क सुरक्षा की दृष्टि से पूरी तरह सुरक्षित बनाया जाना चाहिए जिसके लिए पहला कदम यह है कि यूपीडा को यह मालूम होना चाहिए कि इस एक्सप्रेसवे पर कितने सड़क हादसे विगत में हुये और कहां-कहां हुये। कितने यातायात नियमों का उल्लंघन हुआ और कितने लोगों का चालान हुआ। एम्बूलेन्स सेवा कितनी बार और कितने समय में दी जा सकी। यदि ये प्राथमिक आंकड़े भी यूपीडा जैसी जिम्मेदार रोड संस्था के पास नहीं होंगे तो सड़क हादसों को रोकने की पहल सम्भव नहीं हो सकेगी और न ही घायलों का प्रभावी ढंग से उपचार सम्भव होगा। गोल्डन आवर्स में एम्बूलेन्स सेवा उपलब्ध कराया जाना घायलों की जान बचाने के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
श्री के सीजैन एडवोंकेट |
सभी प्रगटन महत्वपूर्ण है और इनको गंभीरता से लिये जानेकी जरूरत है।उपरोक्त सूचनाओं को लेकर श्रीजैन ने मांग की है ,कि यूपीडा द्वारा ऑनलाइन डेशबोर्ड बनाया जाये जिस पर हादसों की रियल टाइम सूचनाऐं अपलोड की जायें। यूपीड़ा द्वारा समय-समय पर इस एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों की संख्या और विवरण भी रिलीज किया जाये ताकि एक्सप्रेसवे पर चलने वाले वाहन चालक और अधिक जागरूक व सावधान हो सकें। अधिवक्ता जैन द्वारा यह विषय सुप्रीम कोर्ट रोड सेफ्टी कमेटी व सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी उठाया जायेगा।