सूरसदन में हुआ राजेन्द्रर धुवंशी स्मृति ग्रंथ का विमोचन । फोा:असलम सलीमी |
स्मृति ग्रंथ का हुआ विमोचन
सूर सदन में संपन्न सत्र के दौरान ही 'राजेन्द्र रधुवंशी स्मृति ग्रंथ -सांस्कृतिक योद्धा की अभिनभ यात्रा' और स्मारिका -राजेन्द्र रधुवंशी जन्म शती' का विमोचन भी किया गया । ग्रंथ के प्रकाशक दिलीप रधुवंशी हैं,जबकि इसका संपादन मधुर अथैया (दिल्ली )के द्वारा किया गया है।जबकि जन्मशती स्मारिका संपादन स्वयं दिलीप रघुवंशी के द्वारा ही किया गया है।
डौक्यूमेंट्री
राजेन्द्र रधवंशी ने अपनी जंदगी मेंजो कुछ भी किया निश्चित रूप से प्रेरक है,जिसे कि भावी पीढी के लिये तीस मिनट की डौक्यूमेंट्री 'नाटक नहीं रुकेगा' के रूप में संजोने का काम भी किया हैश्री दिलीप रधुवंशी ने। इस डौक्यूमेंट्री को वॉइसओवर किया है,जानेमाने ऐंकर और रेडियो जॉकी अखलाक भाई ने।
प्रेरक प्रसंगों से भरपूर है इप्टा का इतिहास ।फोटो:असलम सलीमी |
मशाल के रूप हमारे साथ होते हैं
शताब्दी समारोह के तहत आयोजित वैचारिक संगोष्ठी में इप्टा इतिहास की प्रतिध्वनियां और भविष्य का रंगमंच विषयक पर चर्चा हुई। संगोष्ठी में अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो रामवीर सिंह ने राजेन्द्र रघुवंशी की जिजीविषा को याद किया। मुख्य वक्ता भारतीय जन नाट्य संघ के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश वेदा ने उनके व्यक्तित्व को याद किया। डाल्टान गंज से आये इप्टा के राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र ने कहा कि हमारे पुरखे कहीं नहीं जाते, हमें जब आवश्यकता होती है वे मशाल के रूप हमारे साथ होते हैं।
संगोष्ठी के पहले सत्र को संबोधित करनेवालों में शिवपुरी से आये लेखक पत्रकार जाहिद खान, अलवर के प्रो शंभू गुप्ता आदि भी थे। संगोष्ठी का संचालन अलवर से आये शिक्षाविद् डा सर्वेश जैन ने किया।
--सृजनशीलता और उनकी यादें
राजेन्द्र रघुवंशी की सृजनशीलता और उनकी यादें विषयक पर मुख्य अतिथि व विख्यात फिल्म अभिनेता अंजन श्रीवास्तव ने बताया कि इप्टा की विचारधारा ने किस प्रकार मुझे प्रभावित किया। राजेन्द्र रघुवंशी उस समय के जुझारू कलाकार और संगठन कर्ता हैं। वे मेरा नाम लेते थे और मैं अचंभित रह जाता था।
डा श्रीभगवान शर्मा ने कहा कि ये समारोह सही मायने में उनकी गरिमा के अनुरूप में श्राद्ध कर्म है , जिसमें इतने विद्वान भाग ले रहे हैं। डा शशि तिवारी ने राजेन्द्र रघुवंशी की कविताओं की विशिष्टताओं को रेखांकित किया। समाजसेवी अरुण डंग ने रघुवंशी जी के साथ गुजरे वक्त को याद करते हुए पाकिस्तान से आए अपने दिनों को याद करते विचार रखे।
शिवपुरी से आए जहीर खान ने राजेन्द्र रघुवंशी पर लिखे अपने लेख के प्रमुख अंशों को प्रस्तुत किया। अवदान को याद किया गया। दिल्ली से आए मधुर अथैया ने कहा कि रघुवंशी जी की सृजनशीलता सामाजिक बदलाव के लिए थी। पूरन सिंह ने कहा कि राजेन्द्र रघुवंशी युवाओं को प्रेरित करने वाले थे। अध्यक्षता कर रहीं प्रोफेसर कमलेश नागर ने कहा कि यहां उपस्थित जन सभी राजेन्द्र रघुवंशी के वृहद् परिवार के सदस्य हैं। संचालन हरीश चिमटी व आभार ज्योत्स्ना रघुवंशी ने दिया।
आयोजन समिति
राजेन्द्र रधुवंशी जन्म शताब्दी समापन समारोह की आयोजन समिति की स्वागत अध्यक्ष के रूप में डा ज्योत्सिना रघुवंशी, दिलीप रघुवंशी महासचिव , हरीश चिमटीसंयोजक, राजीव सिंघल संयोजक, नीरज मिश्रा की सहसंयोजक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका रही। संभवत: वर्ष 2023 में आगरा में होने वाले सांस्कृतिक आयोजनामें सबसे महत्वपूर्ण गैर सरकारी आयोजन है।