5 जुलाई 2023

शाहदरा खत्ताघर में कूडे के पहाड पर चैंम्बर करवायेगा प्लांटेशन

--  टीले केे क्षतिग्रस्त रैंप एप्रोच को नगर निगम करवायेगा दुरुस्थ 

आगरा: एक दशक से उपेक्षित पडा हुआ शाहदरा का कूडे का पहाड आने वाले समय में एक सुवासित हरियाली अच्छादित उपवन होगा ।यहां  स्थानीय प्रजातियों और यहां पनप सकने वाले पेडों के पोध रोपड का काम  यहां म्बर आफ कामर्स ऐंड इंडस्ट्रीज के द्वारा नगर निगम के सहयोग से किया जायेगा। मेयर श्रीमती हेमलता दिवाकर ने इसके लिये सहमति दे दी है ओर अपेक्षा के अनुसार यहां पुराने क्षतिग्रस्त रैंप की यथा शीघ्रता से मरम्मत करवाने को अश्वस्त किया है।श्रीमती दिवाकर चैंमबर के सदस्यों से महानगर की समस्याओं और नगर निगम से अपेक्षाओं पर चैंम्बर हाल में चर्चा कर रही थीं।  

लैंडमार्क के प्रति बदलेगा नजरिया

चैंम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने पूरी कार्ययोजना बतायी तथा कहा कि शहादरा का यह कूडे का ढेर नागरिकों के द्वारा नापसंद किया जाने वाला ‘लैंड मार्क ‘ है,अगर प्लांटेशन योजना क्रियान्वत हो सकी तो उसके प्रति नहरिया ही दलजायेगा। ,दिल्ली,कानपुर, लखनऊ से आगरा आने वाला ओर आगरा से उपरोक्त शहरों को जाने वाला ट्रफिक दिन रात यहां से होकर गुजरता है।चैंबर के सदस्य श्री हरविजय सिंह वाहिया ने

स्थल निरीक्षण के उपरांत यहां हरियाली अच्छादन के लिये योजना बनायी हुई है।जिसके तहत बृक्षें के पौधों को रांपने के उपरांत उनकी देख रेख का काम भी होना है।

रैंप दुरुस्थ होते ही शुरू हो जायेगा ग्रीनरी का काम

श्री वाहिया ने चैंमबर अध्यक्ष से कहा था कि अगर नगर निगम पूराने क्षतिग्रस्त हो चुके रैंप वे को दुरुस्थ करवा दे तथा सबमर्सेविल पंप लगवा दें तो वहां अन्य के सहयोग से प्लांटेशन करवा देंगे। अगर योजना अनुसार यह प्लांटेश संभव हो सका तो प्रदेश भर ही नहीं नेशनल केपीटल जोन के तहत आने वाले यू पी के भाग के लिये भी  अपने आप में विशिष्ट आकर्षण होगा। उल्लेखनीय है कि चैंम्बर के बृक्षारोपण एवं जल संरक्षण प्रकोष्ठ की चेयरमैन गोपाल खंडेलवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसके लिये प्रस्ताव पारित हुआ था।  

शाहदरा में ही किया था शहरवासियों ने 'नमक सत्याग्रह' 

उल्लेखनीय है, कि शहदरा की पहचान   गांधी जी के प्रख्यात दंडी मार्च और नमक आंदोलन(चौबीस दिवसीय मार्च 12 मार्च 1930 से 5 अप्रैल 1930 तक)  के समर्थन में आगरा वासियों के द्वारा किये गये आंदोलन स्थल के रूप में है।रोज हजारों की संख्या में शहरवासी यहां पहुंचते थे और ब्रटिश सरकार की रोकटोक के बावजूद नमक बनाते थे।इस प्रकार अगर उ़द्यान योजना अबाधित तरीके से पूरी हो सकी तो आजादी के अमृत वर्ष से जुडा एक कार्य भी होगा। वैसे नमक की मंडी, कीठम गांव में भी नमक सत्याग्रह हुआ था।  चालू वर्ष आजादी काअमृत काल का दौर है।नमक सत्याग्रह अब बीते समय की यादगार बन कर रह गया है, ।आगरा वासी अपने पूर्वजों की सहभागिता वाले आंदोलन लगभग भूल चुके हैं।स्वतंत्रा सेनानी परिवरों में से कुछ की भावी पीढी को जरूर इस येतिहासिक घटना की जानकारी रही बची है।

श्री हरविजय वाहिया जी का कहना है कि अगर नयूनत जरूरी व्यवस्थायें संभव गयीं तो चैम्बर के प्रयास से यहां हरियाली तो हो ही जायेगी बल्कि एक बडे क्षेत्र का पर्यावरण बदल जायेगा।