27 सितंबर 2023

रेहावली पर बांध बनाकर यमुना नदी के उफान का उटंगन में संचय किया जाये

जिला पंचायत अध्यक्ष रेहावली में उटंगन की तटीय स्थिति का करेंगी निरीक्षण 

श्रमती मंजू भदौरिया को सिविल
श्री अनििल शर्मा ने दी जानकारियां।
                                    आगरा: यमुना नदी के बाद आगरा जनपद की दूसरी महत्वपूर्ण नदी उटंगन की दो दशकों से बनी चल रही उपेक्षित स्थिति में पुनः: सुधार की संभावना है। जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ.मंजू भदौरिया शीघ्र ही स्वयं नदी के 20 कि मी के टेल वाले वाले खंड का निरीक्षण जल संचय और भंडारण की संभावनाओं का आकलन करेंगी।

यमुना नदी के बाद आगरा जनपद की दूसरी महत्वपूर्ण नदी उटंगन की दो दशकों से बनी चल रही उपेक्षित स्थिति में पुनः: सुधार की संभावना है। जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ.मंजू भदौरिया शीघ्र ही स्वयं नदी के 20 कि मी के टेल वाले वाले खंड का निरीक्षण जल संचय और भंडारण की संभावनाओं का आकलन करेंगी।

श्रीमती भदौरिया इस व्यवहारिक पक्ष से सहमत है कि यमुना नदी मानसून कॉल में जब भी लो फ्लड लेवल पर पहुंचती है उटंगन नदी रेहावली गांव में बैक मारने लगती है और लगभग 6 किमी अरनौटा के रेलवे पुल तक इसमें प्रचुर मात्रा में जल राशि होती है। इस जलराशि को संचित रखने भर से फतेहाबाद और बरौली तक के भूमिगत जल स्रोतों / जलभृत (Aquifer) को जरूरत का पानी उपलब्ध हो जायेगा और खेती के लिये परंपरागत तरीकों से जल दोहन पुन: संभव हो सकेगा।

जि.पं अध्यक्ष ने कहा कि जल संचय और संचित जलराशि के अधिकतम अवधि के लिये ठहराव बनाया रखना शासन की नीति के अनुकूल हे। निरीक्षण उपरांत वह संबंधित अधिकारियों से विचार विमर्श कर कार्य योजना तैयार करवायेंगी।

श्रीमती भदौरिया से सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा,असलम सलीमी ,डा शिरोमणी सिंह जर्नलिस्ट राजीव सक्सेना ने मुलाकात कर जनपद के लगातार गिरते जलस्तर पर चिंता जताई , सिविल सोसायटी ऑफ आगरा  के सदस्यों ने कहा कि जनपद में जल संचय की व्यापक संभावनाएं है किंतु कार्ययोजनऐं न बनाये जाने के कारण वर्षा जल संचय नहीं हो पा रहा है साथ ही पुरानी और उपयोग हो सकने वाली जल संचय संरचनाओं (waterbody ) की स्थितियों में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है।

श्री अनिल शर्मा ने जिला पंचायत अध्यक्ष को बताया कि प्रत्येक मानसून सत्र में कम से कम तीन बार यमुना नदी लो फ्लड लेवल को क्रॉस करती है, फलस्वरूप उटंगन में लगातार काफी जलराशि संचय को उपलब्ध रहती है।जो कि संचय की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उल्लेखनीय है कि लगभग 288 कि मी बहाव वाली उटंगन नदी, जो राजस्थान सीमा में गंभीर नदी भी कहलाती है, । यह राजस्थान में करौली जिले में अरावली पहाड़ियों में शुरू होती है। धौलपुर जिले में इसका कुछ भाग राजस्थान व उत्तर प्रदेश की राज्य सीमा निर्धारित करता है।

फतेहाबाद तहसील के रेहावली गांव में उटंगन जनपद में सौ कि मी बहने के बाद यमुना नदी में समाती है। निरीक्षण को प्रस्तावित नदी खंड में नगला बिहारी में आगरा कैनाल के टर्मिनल राजवाह की टेल मिलती है,जबकि कुछ कि मी अपस्ट्रीम में (धौलपुर के गांव खैरगढ )राजस्थान की पार्वती नदी मिलती है।

अंतर्राज्यीय नदी होने के बावजूद राजस्थान में नदी का पानी उ प्र सरकार की बिना अनुमति के रोक लिया गया है और महत्वपूर्ण नदी होने के बावजूद इसके खनुआ (खानवा ) स्थित हैड तक पानी नहीं पहुंचने दिया जाता है,लेकिन  इसके बावजूद इसमें वेस्टर्न डिप्रेशन ड्रेन (डब्ल्यूडी) , चिकसाना ड्रेन खारी नदी आदि का डिस्चार्ज बडी मात्रा में आता है और प्रभावी जल संचय का इंतजाम न होने से यमुना में बह जाता है।

रेहावली से लेकर अरनौटा तक पायी जाने वाली ' तिन पतिया '
कई रोगों के उपचार में उपयोगी है  उटंगन के तटीय क्षेत्र
में उगने वाली तिनपत्तिया (Sour weed)।
बनस्पति शास्त्र में सौवर वीड (Sour weed), सौवर ग्रास (Sour grass) के रूप में पहचान रखने वाली इस घास का उपयोग अनेक बीमारियों को दूर करने के अलावा नशेबाजी की लत छुडवाने में भी यह उपयोगी मानी जाती है।
बैद्यिक जरूरत का उत्पाद होने के कारण इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है।
इसका सबसे पहला उल्लेख 1888 में आगरा के संबध में प्रकाशित एक पुस्तक में मिलता है,अब तो इस उत्पाद के बारे में इंटरनेट पर भरपूर जानकारियां हैं। आदतन नशेबाजों को उनकी आदत से छुटकारा दिलवाने में तिनपतिया का अर्क काफी उपयोगीीमाना जाता है।