26 अक्तूबर 2023

बेदी महज क्रिकेटर ही नहीं, क्रिकिट खेलने वालों की भी चिंता रखते थे

आगरा स्टेडियम की पिच का उच्चीकरण में बिशन सिंह बेदी की भी रही थी भागीदारी 

एल एस बघेल, आगरा, :  स्पिन के जादूगर बिशन सिंह बेदी एक अंतर्राष्ट्रीय खिलाडी थे, किंतु कीर्ति और ख्याति बटोरने के बावजूद देश भर में जहां भी जाते थे सम्मान और आत्मीयता बटारते वहीं उस स्नेह को छोड जाते जो हमेशा लोगों को याद आगरा में भी उनका आना जाना लगा रहा और यहां के लोग उन्हे अपना मानते रहे। जब बेदी के निधन का समाचार लोगों को मालूम पडा तो अनायास ही तमाम छोटी बडी वे घटनाये स्मृरण हो आयीं जिनके वे साक्षी या भागीदार थे। अखिल भारतीय शहीद क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजक के के कपूर और प्रमुख खेल प्रेमी एक्सपोर्टर हरविजय वाहिया के साथ उनकी खास निजता थी 

आगरा यात्रायें :

उनकी तमाम आगरा यात्राओं में ये बात वर्ष 2006-7 की है, उन दिनों आगरा के आरएसओ अजय कुमार सेठी थे। कपूर साहब ने एकलव्य स्टेडियम की पिच बनवाने के लिये बाहर से मिट्टी मंगवाई थी। पिच बनाने के लिये विशेषज्ञ बुलाये गये थे। उन दिनों क्रिकेट पिच पर विशेष ध्यान दिया जाता था। क्योंकि देश के लगभग

सभी जान-माने क्रिकेटर यहां आते थे उनमें चाहे सचिन तेंदुलकर हों अथवा कपिलदेव , मनोज प्रभाकर , चेतन शर्मा, आदि हों।

जब स्टेडियम की पिच बनकर तैयार हो गयी तो श्री हरविजय वाहिया और शहीद क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजक के के कपूर ने बिशन सिंह बेदी और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व  विकेट कीपर सैयद किरमानी

को (वर्ष 2006-7 ) आगरा बुलवाया उन्होंने पिच का निरीक्षण किया।उनकी यह यात्रा पिच को जांच रखने के बाद के कर देने के कारण तो याद है  ही किन्तु इसे भूलपाने का सबसे बडा करण उस समय के युवा र्किकेटरों से उनकी खुल कर हुई बाते और दी गयी वे  टिप्स जिन्हे कई ने फालों किया और क्रिकेट में अपनी पहचान बनायी।

जूनियरों से भी खूब बतियाये :

 स्टेडियम में खेलने आने वाले जूनियर क्रिकेटरों के बीच तो वह रम ही गये इस दौरान तत्कालीन आरएसओ अजय सेठी के अलावा अंपायर सुधीर चतुर्वेदी तथा  स्पोर्ट्स रिपोर्टर लाखन सिंह बघेल भी मौजूद थे। प्रशिक्षु क्रिकेटरों में अपने समय के धुरंधर गेंदबाज रहे रमन दीक्षित के सुपुत्र प्रेरक दीक्षित भी थे। बेदी 1995 में भी बिशन सिंह बेदी आगरा आये थे और अपने प्रवास काल में स्थानीय क्रिकेटरों से घिरे रहे।

स्मृतियां विस्मृत नहीं होंगी :

बेदी अब हमारे बीच नहीं हैं,लेकिन उनकी यादें आगरा वासियों के बीच बसी हुई हैं। उनके निधन पर आगरा के क्रिकेटरों ने उन्हें श्रद्धांजिल दी। श्रद्धांजलि का सिलसिला शायद अभी और आगे भी चले किंतु असली श्रद्धा सुमन तो तब हीेगे जबकि आगरा कोयी खुशमिजाज स्पिनर देश की क्रिकेट को दे सके

आगरा में अब तो क्रिकेट ग्राऊंडों तक का संकट :

अपने समय के तेजतर्रार  स्पोर्ट जर्निस्ट लिश्री लाखन सिंह बघेल अपनी यादें करोद कर बताते हैं बहुत अंतर चुका है अब और तब में शहीद टूर्नामेंट अब नहीं होता,के के कपूर भी दुनियां से जा चुके हैं। यही नहीं क्रिकेट भी अब पहले की तुलना में खर्चीला हो चुका है। श्री बघेल बताते है कि आगरा में क्रिकेट के प्रमुख ग्राऊंडों में से आगरा कालेज और सैंटजोस कालेज के ग्राऊंड पहले जैसे रहे नहीं,जी आई सी ग्राऊंड पंचकुईयां में हरियाली प्रमियों ने बेतरतीबी से प्लांटेशन करवा के बमुश्किल क्रिकेट खेलने लाइक ही जगह छोडी है,दर्शकों के रूप में मैच देखने वाले क्रिकेट के कद्रदानों के बैठसकने लाइक जगह की फिक्र तक नहीं कह है।