( By Rajeev Saxena ) आगरा। अमर होटल आगरा के नजदीक एक एंबेसडर कार टैक्सी खड़ी होती थी। जिसे एक बुजुर्ग ड्राइवर चलाते थे। मैं कई बार इस टैक्सी में दिल्ली गया था। यह ड्राइवर साहब हर बार कहते थे आप जिस टैक्सी में बैठे हैं , इसमें रतन टाटा भी बैठ चुके हैं। वह बताते थे टाटा बहुत सज्जन और दयालु थे।ड्राइवर साहब कहते थे कि यह दृश्य मेरे दिमाग में हमेशा घूमता है , उनकी दयालुता में कभी नहीं भुला सकता। कहानी इस तरह की थी। एक बार यह अम्बसडर कार एक कस्टमर को लेकर लखनऊ गई थी। कस्टमर को छोड़कर अम्बेस्डर सड़क पर खड़ी थी। टाटा अपने होटल से निकलकर , अपनी लम्बी चौड़ी डीलक्स कार में न बैठकर थोड़ी दूर बाहर पैदल चले और अचानक इस एम्बेस्डर कार में बैठ गए और बोले चलो। अचानक रतन टाटा का बैठना ड्राइवर के लिए के लिए यादगार बन गई। शायद ये ड्राइवर अब नहीं रहे। उतरते समय टाटा ने उन्हें परिवार के लिए अच्छा इनाम भी दिया था।