--महिला मतदाता तोहिदा व तन्जिला को सहाय स्मृति लोकतंत्र रक्षक सम्मान मीरापुर की तोहिदा व तन्जिला को सहाय स्मृति
लोकतंत्र रक्षक सम्मान से किया गया सम्मानित
सहाय का स्मरण करते हुए श्री सुमन ने कहा कि सहाय जी का जीवन तमाम प्रेरक घटनाओं से भरा हुआ है।उनका डा राम मनोह लोहिया के संपर्क में आना भी कम दिलचस्प नहीं है। किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिये जब डॉ. लोहिया रेल से जा रहे थे,उसी दौरान कानपुर प्लेटफार्म पर उनकी नजर जीवन संघर्षो से जूझ रहे स्व.कृष्ण चन्द्र सहाय पर पडी। डॉ. लोहिया ने समाजवादी कार्यकर्ताओं को उसी वक्त आदेशित किया कि वह सहाय जी के रहने के बन्दोबस्त के साथ-साथ उनकी शिक्षा की भी मुक्कमल व्यवस्था करें।
श्री सुमन ने कहा कि जब जय प्रकाश जी का आंदोलन शुरू हुआ तो उत्तर प्रदेश में महावीर भाई और सहाय जी ही इसके कर्ता-धर्ता थे, उन्होंने स्मृतियां ताजा करते हुए कहा कि जय प्रकाश आन्दोलन में जिस दिन पूर्व प्रधानमंत्री, किसानों के मसीहा चौ. चरण सिंह को सत्याग्रह करना था, परस्थितिवश चौ. साहब के मना करने के बाद उसी स्थान पर मुझको सहाय जी के आदेश से सत्याग्रह करना पड़ा। हमको सत्याग्रह स्थल से ही गिरफ्तार करके राय बरेली जेल भेज दिया गया।
उन्होंने कहा कि चाहे चम्बल घाटी शांति मिशन हो या फिर सामाजिक विषमताओं के खिलाफ संघर्ष, उनकी जुझारू भूमिका रही। ताजिंदगी खादी खादी पहनते रहे,उनका लिबास से ही हमे प्रेरणा मिलती थी।जीवन भर मूल्यों के लिए जिये, डाकूओं के हदय परिवर्तन कराने में रहा उनका योगदान अपने आप में अनुकरणीय है।
वरिष्ठ गाँधीवादी शशि शिरोमणि ने कहा कि उनका सहाय जी से पचास साल का रिश्ता था। सहाय जी के जीवन को नापना, तोलना, जांचना, समझना आसान नही है।उन्हों ने आपत काल की याद करते हुए श्री समुन से कहा कि तब बोलने की आजादी नहीं थी कितु मौजूदा दौर से कही ज्यादा बात कह सुन ली जाती थी किंतु अब तो कई भी इंमरजेंसी नहीं है,फिर भी लोग वैचारिक अभिव्यक्तियो से बचते है।
डॉ.अशोक शिरोमणि कहा कि उनकी वेषभूषा पहनावा अपने ही ढंग का था। सफेद खादी का बनियान रूपी जेब लगा छोटा कुर्ता, सफेद खादी की लुगी, कंधे पे खादी का थैला, साइकिल की सवारी सहाय जी की पहचान बन गई । डॉ. कुसुम चतुर्वेदी ने कहा सहाय जी की पारदर्शिता ऐसी की हर साल अपना खाता सार्वजनिक करते, सभी का आभार व्यक्त करते, शुक्रिया अदा करते, सबकी खेर खबर लेते थे।
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. मधु भरद्वाज ने कहा किसी के कष्ट को दूर करने में अपनी ताकत से बाहर जाकर भी हर तरह की मदद करने को सदैव तर्त्पर रहने वाली शख्सियत थे सहायजी, उनकी नजर में कोई दूसरा था ही नहीं. सभी अपने थे,उन्होंने गाँधी को पहले आत्मसात किया फ़िर समाज को संदेश दिया। महिला शांति सेना की प्रमुख वत्सला प्रभाकर ने कहा की सहाय जी बताते थे कि गांधी जी कहा करते थे कि लापरवाही अज्ञानता से भी ज्यादा घातक है, हानिकारक है.उनके जीवन में लापरवाही का कोई स्थान नहीं था।
पद्मश्री डॉ. आर. एस. पारिख ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सहाय जी से जब भी उनकी मुलाकात होती थी,सामाजिक विषयों पर गहन चर्चाओं के साथ संपन्न होती थी। निश्चित रूप से उनकी वैचारिक और कार्य क्षमता असाधारण थी।
सहाय जी की पुत्री मधु सहाय जोशी द्वारा आभार एवं हरीश ‘चिमटी’ द्वारा कार्यक्रम का संयोजन, नियोजन व संचालन किया गया।
--मतदाता सम्मान
जागरूक और आदर्श मतदाता के रूप में मुज्जफर नगर के मीरापुर विधान सभा के ककरोली गाँव की दो महिला मतदाता तोहिदा व तन्जिला को सहाय स्मृति लोकतंत्र रक्षक सम्मान से नावाजते श्री सुमन ने कहा कि अभी हाल में ही उपचुनावों में इन दोनों ही महिलाओं ने बेमिसाल बहादुरी का परिचय देते हुए मतदान की निष्पक्षता को प्रभावित करने वाली व्यवस्था का प्रतिरोध करते हुए जिस बहादुरी से मताधिकार का उपयोग किया वह अपने आप में मिसाल है। इन दोनों को दुशाला,सम्मान पत्र ,स्मृति भेट सहित 11-11 हज़ार रुपयों की नकद धनराशि भी आयोजन समिति के द्वारा प्रदान की गयी।
--कार्यक्रम में उपस्थित जन
जे एस फौजदार,डॉ अशोक शिरोमणि,बलदेव भटनागर,सपा नेता धर्मेंद्र यादव गुल्लु, सलीम शाह,गौरव यादव, अशफाक,राम नरेश, समाजसेवी वत्सला प्रभाकर ,बासुदेव जैसवाल, डॉ. मधुरीमा शर्मा, नंद लाल भारतीय,आई. डी.श्रीवास्तव, राजीव सक्सेना, भुवनेश श्रोत्रिय,अनिल अरोड़ा संघर्ष, सुनील गोस्वामी,वत्सला प्रभाकर, राजीव अग्रवाल,ममता पचौरी,मदन गर्ग, शिवराज यादव , सैयद मेहमूद उज्जमा, कल्पना शर्मा, जी एस मनराल ,नीलम शर्मा नेहा माथुर , रोहित रावी,महेश नारायण सक्सेना, प्रतिभा स्वरूप, शैलजा, डा.शशि तिवारी, राजीव अग्रवाल , डाक्टर प्रदीप श्रीवास्तव,आदि उपस्थित रहे.